तेलंगाना हाई कोर्ट ने हाल ही में इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाने को लेकर विवादों पर एक निर्णय सुनाया, जिसमें तेलंगाना शिक्षा अधिनियम, 1982 की धारा 20 के तहत राज्य के अधिकार पर जोर दिया गया। कोर्ट ने कंदलाकोया क्षेत्र के कुछ कॉलेजों के लिए अतिरिक्त सीटों की मांग को खारिज करने के राज्य के निर्णय को बरकरार रखा, यह कहते हुए कि शैक्षिक आवश्यकताओं का आकलन जिले के बजाय स्थानीय स्तर पर किया जाना चाहिए।
मुख्य तर्क और कोर्ट का विश्लेषण
अपीलकर्ताओं ने, वरिष्ठ वकीलों के माध्यम से, भेदभाव का दावा किया और कहा कि उनके संस्थानों को सीटों में वृद्धि से वंचित रखा गया, जबकि मेडचल-मलकाजगिरी जिले के अन्य संस्थानों को अनुमति दी गई। उन्होंने AICTE के अनुमोदन और JNTU’s की नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOCs) का हवाला दिया। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि शिक्षा अधिनियम की धारा 20(3) के तहत आवश्यकताओं का मूल्यांकन "स्थानीय क्षेत्र" में किया जाना चाहिए, न कि पूरे जिले में। राज्य ने स्पष्ट किया कि कंदलाकोया, एक विशिष्ट स्थानीय क्षेत्र, में एक कॉलेज को 120 सीटों की अनुमति देने के अलावा अतिरिक्त सीटों की कोई मांग नहीं थी।
कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू तकनीकी विश्वविद्यालय बनाम संगम लक्ष्मी बाई विद्यापीठ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें धारा 20 की वैधता को बरकरार रखा गया था और संस्थानों के "अनियंत्रित विस्तार" को रोकने पर जोर दिया गया था। कोर्ट ने भेदभाव के दावे को खारिज करते हुए कहा कि तुलना स्थानीय स्तर पर की जानी चाहिए।
दाखिल छात्रों के लिए सुरक्षा
अपीलों को खारिज करने के बावजूद, कोर्ट ने निर्देश दिया कि अंतरिम आदेशों के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों-जो अब तीसरे वर्ष में हैं-को अपनी पढ़ाई पूरी करने की अनुमति दी जाए। इस मानवीय राहत ने उनकी शैक्षिक निरंतरता सुनिश्चित की।
केस का शीर्षक:CMR टेक्निकल कैंपस व अन्य बनाम तेलंगाना राज्य व अन्य
केस संख्याएँ:
रिट अपील संख्याएँ: 572, 573, 574, 575, 576, 577, 601 और 602 (वर्ष 2025)
संबंधित रिट याचिकाएँ: वाद-पत्र संख्याएँ 23539, 23541 और 23654 (वर्ष 2024)
पूर्व कार्यवाही: वाद-पत्र संख्या 953 (वर्ष 2024)