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दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगोलपुरी मस्जिद के पास कथित अवैध आधी रात को तोड़फोड़ को लेकर अवमानना ​​याचिका पर एमसीडी से जवाब मांगा

Shivam Y.

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगोलपुरी मस्जिद के पास कथित अवैध आधी रात को तोड़फोड़ को लेकर अवमानना ​​याचिका पर एमसीडी से जवाब मांगा

25 जून 2025 को, दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलपुरी मोहम्मदी जामा मस्जिद और मदरसा अनवारुल उलूम वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर अवमानना याचिका पर दिल्ली नगर निगम (MCD) को नोटिस जारी किया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि MCD ने अदालत के पूर्व निर्देशों का उल्लंघन करते हुए आधी रात को मस्जिद परिसर के आसपास ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की, वो भी बिना उचित सीमांकन के।

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यह याचिका अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2(B) और धारा 12 के तहत दायर की गई है, जिसमें यह कहा गया है कि 18 नवंबर 2024 को Save India Foundation Regd. बनाम दिल्ली सरकार व अन्य (W.P.(C) 4867/2024) मामले में अदालत द्वारा दिए गए आदेश का पालन नहीं किया गया।

“MCD को निर्देशित किया जाता है कि वह याचिकाकर्ता को यह सूचित करे कि कौन-सा क्षेत्र सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण कर रहा है, जिसे हटाया जाना है, और यह कार्य एक सप्ताह के भीतर पूरा किया जाए।” — 18 नवंबर 2024 का अदालत आदेश।

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याचिकाकर्ताओं का कहना है कि न तो कोई सीमांकन रिपोर्ट उन्हें दी गई और न ही उन्हें यह सूचित किया गया कि कौन-सा क्षेत्र हटाया जाएगा। इसके बावजूद, MCD ने आधी रात को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी, जो कि गैर-कानूनी और कोर्ट के आदेश के विरुद्ध थी।

वहीं MCD की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि अतिक्रमण वाला क्षेत्र याचिकाकर्ताओं की उपस्थिति में सीमांकित किया गया था और यह कार्य पुलिस व राजस्व अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई विधिसम्मत नोटिस के बाद ही की गई और पहले से तय आदेश के अनुसार अतिक्रमित क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा हटा दिया गया है।

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हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि न तो उन्हें कोई सीमांकन दिखाया गया और न ही कोई जानकारी दी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अदालत के आदेश की अवहेलना करते हुए यह कार्य किया गया।

“उत्तरदाताओं को सीमांकन रिपोर्ट प्रदान करनी थी, जो उन्होंने नहीं की... इस प्रकार, परिसर का हिस्सा गिराकर अवमानना की गई है।” — याचिकाकर्ता का दावा

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न्यायमूर्ति रेनू भटनागर ने मामले की सुनवाई करते हुए MCD को एक सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि MCD को ध्वस्तीकरण की पूरी रिपोर्ट फोटो सहित प्रस्तुत करनी होगी।

“प्रत्युत्तर एक सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए और एक प्रति दूसरी पक्ष को दी जाए।” — न्यायमूर्ति रेनू भटनागर

अब यह मामला 9 जुलाई 2025 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है और संबंधित रिट याचिका W.P.(C) 4867/2024 के साथ सुना जाएगा।

मामले का शीर्षक: मंगलपुरी मोहम्मदी जामा मस्जिद और मदरसा अनवारुल उलूम वेलफेयर एसोसिएशन बनाम श्री अश्वनी कुमार व अन्य

मामला संख्या: CONT.CAS(C) 925/2025

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