Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

पीएमएलए मामले में पूर्व राजस्व अधिकारी की पेशी पर केरल हाईकोर्ट ने लगाई रोक, धारा 223(1) BNSS के तहत पूर्व सुनवाई न होने का हवाला

Shivam Y.

केरल हाईकोर्ट ने पूर्व RDO साजी जॉन और उनकी पत्नी को 3 जुलाई तक पीएमएलए विशेष अदालत में पेश होने से छूट दी, BNSS की धारा 223(1) और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला।

पीएमएलए मामले में पूर्व राजस्व अधिकारी की पेशी पर केरल हाईकोर्ट ने लगाई रोक, धारा 223(1) BNSS के तहत पूर्व सुनवाई न होने का हवाला

एक महत्वपूर्ण फैसले में, केरल हाईकोर्ट ने पूर्व राजस्व संभागीय अधिकारी (RDO) साजी जॉन और उनकी पत्नी बिंदु साजी को एर्नाकुलम स्थित सीबीआई/प्रवर्तन निदेशालय (ED) की विशेष अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से 3 जुलाई 2025 तक अस्थायी राहत प्रदान की है।

Read in English

यह निर्देश न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन द्वारा उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया, जिसमें यह चुनौती दी गई थी कि BNSS (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता), 2023 की धारा 223(1) के पालन के बिना समन जारी किया गया है। यह प्रावधान यह अनिवार्य करता है कि कोई भी मजिस्ट्रेट तब तक किसी शिकायत का संज्ञान नहीं ले सकता जब तक कि अभियुक्त को पहले सुनवाई का अवसर न दिया जाए।

Read also:- भारतीय नागरिकता स्वेच्छा से छोड़ने पर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी नागरिकों की देश से निष्कासन कार्रवाई को सही ठहराया

“धारा 223(1) अदालत की संज्ञान लेने की शक्ति पर प्रतिबंध लगाती है और यह कहती है कि अभियुक्त को सुने बिना मजिस्ट्रेट संज्ञान नहीं ले सकता,”
— सुप्रीम कोर्ट: कुशल कुमार अग्रवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय (2025)

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अर्जुन वर्मा और रोहित आर. ने यह दलील दी कि विशेष अदालत ने 7 मार्च 2025 (अनुबंध-III) को जारी समन आदेश में उन्हें प्रतिक्रिया देने का अवसर दिए बिना कार्यवाही की, जो कि कानून का उल्लंघन है।

Read also:- केरल हाईकोर्ट: नीलामी न होने पर जुर्माना अदा करने पर जब्त सामान छोड़ें

उन्होंने अपने तर्क में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले कुशल कुमार अग्रवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय [2025 KHC OnLine 6565 (SC)] का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया कि धारा 223(1) का उल्लंघन होने पर ऐसा संज्ञान आदेश विधिसम्मत नहीं माना जाएगा।

“इस मामले में निर्णय के लिए एक तर्कसंगत मुद्दा सामने आया है,”
— न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन, केरल हाईकोर्ट

Read also:- दिल्ली हाईकोर्ट ने गैर-पेशेवर वीसी उपस्थिति के लिए वकील की आलोचना की, अदालती शिष्टाचार की आवश्यकता पर जोर दिया

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने साजी जॉन पर लोक सेवक रहते हुए आपराधिक दुराचार करने और अपने व अपनी पत्नी के नाम पर अनुपातहीन संपत्तियाँ अर्जित करने का आरोप लगाया है।

मामले की गंभीरता और कानूनी बिंदुओं को देखते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की विशेष अदालत में उपस्थिति को स्थगित कर दिया है। अब यह मामला 3 जुलाई 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

केस का शीर्षक: साजी जॉन और अन्य बनाम सहायक निदेशक

केस संख्या: 2025 का Crl.MC 5631

Advertisment

Recommended Posts