दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल के अंदर संचालित हो रहे एक कथित उगाही रैकेट को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया है। यह आदेश 2 मई को मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ द्वारा पारित किया गया।
यह मामला एक याचिका से जुड़ा था जिसमें जेल अधिकारियों और कैदियों दोनों की ओर से की जा रही गैरकानूनी गतिविधियों और कदाचार को उठाया गया था। इससे पहले, कोर्ट ने तिहाड़ जेल के निरीक्षण न्यायाधीश को एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। शुक्रवार को खंडपीठ ने सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई इस रिपोर्ट की समीक्षा की।
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“रिपोर्ट में तिहाड़ जेल के अंदर हो रही अनियमितताओं और आपराधिक गतिविधियों के बारे में चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं,” कोर्ट ने कहा।
रिपोर्ट की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने माना कि इस मामले में एक विस्तृत जांच आवश्यक है। क्योंकि रिपोर्ट में आपराधिक कृत्यों के आरोप शामिल थे, कोर्ट ने इसे सीबीआई को सौंपना उपयुक्त समझा।
“मामले की गंभीरता से जांच के लिए, चूंकि रिपोर्ट में आपराधिक गतिविधियों के आरोप शामिल हैं, हम इसे सीबीआई द्वारा प्रारंभिक जांच के लिए उपयुक्त मानते हैं,” खंडपीठ ने कहा।
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इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव (गृह) को तथ्य-जांच (फैक्ट फाइंडिंग) करने और यह पता लगाने का निर्देश दिया कि इस तरह की लापरवाहियों के लिए कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं।
“जांच में विभिन्न प्रशासनिक/पर्यवेक्षणीय लापरवाहियों को दर्शाया जाना चाहिए और यह स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि जेल में कौन-कौन से अधिकारी इन लापरवाहियों के लिए जिम्मेदार हैं,” कोर्ट ने कहा।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जेल महानिदेशक (DG Prisons) इस जांच में पूरा सहयोग करें।
“जेल महानिदेशक इस मामले में पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे,” खंडपीठ ने स्पष्ट किया।
यह कदम जेल प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, विशेष रूप से जब निरीक्षण रिपोर्ट में गंभीर आरोप सामने आए हैं।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।