गुजरात हाईकोर्ट ने 12 मई को एक 13 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की 33 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी, यह कहते हुए कि उसकी उम्र बहुत कम है और भविष्य लंबा है। कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे यह प्रक्रिया शीघ्र पूरी करें, लेकिन अभिभावकों की स्पष्ट लिखित सहमति लेने और उन्हें खतरे को उनकी समझ की भाषा में समझाने के बाद ही।
यह आदेश न्यायमूर्ति निरज़र एस. देसाई की पीठ ने दिया, जिन्होंने राजकोट के पीडीयू जनरल अस्पताल के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट का अवलोकन किया। इस टीम में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, फिजीशियन, मनोरोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ और रेडियोलॉजिस्ट शामिल थे। यह रिपोर्ट अदालत के पूर्व निर्देश पर तैयार की गई थी, जिसमें नाबालिग की मेडिकल स्थिति और गर्भपात की संभावना की जांच की गई थी।
9 मई की अल्ट्रासोनोग्राफी रिपोर्ट के अनुसार, लड़की 32 सप्ताह और 6 दिन की गर्भवती थी। मेडिकल बोर्ड ने कहा कि गर्भपात किया जा सकता है लेकिन इसमें गंभीर जोखिम, खासकर हृदय और श्वसन संबंधी जटिलताएं, शामिल हैं। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि प्रक्रिया से पहले उसकी एनीमिया की स्थिति को सुधारना जरूरी है।
“एनीमिया सुधारने के बाद उच्च कार्डियोरेस्पिरेटरी जोखिम के साथ एमटीपी किया जा सकता है,” रिपोर्ट में कहा गया।
न्यायमूर्ति देसाई ने पीड़िता की कमी उम्र और उसके भविष्य को ध्यान में रखते हुए कहा कि उसके माता-पिता या अभिभावकों को पूरी जानकारी दी जाए और उनकी लिखित सहमति ली जाए, वह भी उनकी भाषा में।
“मैंने विचार किया है कि याचिकाकर्ता मात्र 13 वर्ष की है और उसका लंबा जीवन शेष है… न्याय की पूर्ति इसी में होगी कि माता-पिता/अभिभावकों को एमटीपी के जोखिम समझाए जाएं और उनकी सहमति ली जाए,” न्यायमूर्ति देसाई ने कहा।
कोर्ट ने फिर पीडीयू जनरल अस्पताल, राजकोट के चिकित्सा अधिकारी और अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे पूरी सावधानी और सभी आवश्यक चिकित्सीय तैयारियों के साथ गर्भपात की प्रक्रिया करें। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि रक्त की व्यवस्था समेत सभी जरूरी चिकित्सीय सहायताएं उपलब्ध हों और सभी आवश्यक विशेषज्ञों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
“यह प्रक्रिया अत्यधिक सावधानी और सतर्कता के साथ की जाए… संबंधित चिकित्सा शाखाओं के विशेषज्ञों की उपस्थिति अनिवार्य की जाए,” आदेश में कहा गया।
कोर्ट ने राज्य के वकील को निर्देश दिया कि वे तुरंत अस्पताल प्रशासन को कोर्ट का आदेश सूचित करें और सभी कानूनी और चिकित्सीय औपचारिकताओं को पूरा करें। साथ ही याचिकाकर्ता के वकील को निर्देश दिया गया कि वे पीड़िता के माता-पिता/अभिभावकों को सूचित करें और यह सुनिश्चित करें कि वे नाबालिग लड़की के साथ अस्पताल पहुंचे, ताकि प्रक्रिया तुरंत पूरी की जा सके।
मामले का शीर्षक: ABC बनाम गुजरात राज्य व अन्य