गोपनीयता और आपराधिक जांच की तात्कालिकता के बीच संतुलन बनाते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट, धारवाड़ ने एक महत्वपूर्ण आदेश में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को निर्देश दिया है कि वह एक गुमशुदा युवक के आधार उपयोग से जुड़ी लोकेशन जानकारी पुलिस को उपलब्ध कराए ताकि खोज जारी रखी जा सके।
पृष्ठभूमि
यह मामला एक दुखद स्थिति से जुड़ा है। विजय कृष्णमूर्ति संगीत, याचिकाकर्ता श्री कृष्णमूर्ति (61) के पुत्र, दिसंबर 2019 में हबल्ली स्थित ट्रिलियम टेक्नोलॉजिकल कंपनी में प्रशिक्षु के रूप में काम करते समय लापता हो गए थे। अगले दिन गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई और पुलिस ने वर्षों तक प्रयास किया, पर कोई सफलता नहीं मिली।
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जून 2023 में पिता को पता चला कि विजय का आधार कार्ड कहीं प्रमाणीकरण के लिए उपयोग किया गया है। उनका मानना था कि यह सुराग बेटे को खोजने की कुंजी हो सकता है। उन्होंने पुलिस से आधार प्रमाणीकरण इतिहास प्राप्त करने को कहा। लेकिन UIDAI ने आधार अधिनियम 2016 की गोपनीयता शर्तों का हवाला देते हुए विवरण देने से मना कर दिया। अंततः पिता को हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा।
अदालत की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति सुरज गोविंदराज ने आधार अधिनियम की धारा 29 और 33 का विस्तार से परीक्षण किया, जो पहचान संबंधी जानकारी के खुलासे को सीमित और नियंत्रित करती हैं।
अदालत ने कहा कि जबकि बायोमेट्रिक विवरण जैसे फिंगरप्रिंट और आइरिस स्कैन कभी साझा नहीं किए जा सकते, लेकिन पहचान संबंधी जानकारी जैसे आधार संख्या, जनसांख्यिकीय डेटा और प्रमाणीकरण रिकार्ड हाई कोर्ट के आदेश पर साझा किए जा सकते हैं।
अदालत ने टिप्पणी की,
"गुमशुदा पुत्र का आधार कार्ड इस्तेमाल हुआ है। यह जानना आवश्यक है कि यह उपयोग उसी ने किया या किसी और ने, और किस स्थान पर। बिना इस जानकारी के जांच आगे नहीं बढ़ सकती।"
UIDAI की आपत्ति पर न्यायाधीश ने कहा:
"धारा 29 में कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है। धारा 33 इस न्यायालय को, UIDAI को सुनने के बाद, न्याय की आवश्यकता होने पर खुलासा करने का निर्देश देने का अधिकार देती है।"
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फैसला
अदालत ने रिट याचिका स्वीकार कर निम्नलिखित निर्देश दिए:
- UIDAI को हबल्ली-धारवाड़ पुलिस को विजय कृष्णमूर्ति के आधार उपयोग की लोकेशन जानकारी दिसंबर 2019 से अब तक उपलब्ध करानी होगी।
- यह जानकारी आदेश की प्रति मिलने के 15 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए।
- केवल लोकेशन विवरण ही साझा किए जाएंगे। कोई अन्य व्यक्तिगत जानकारी नहीं दी जाएगी।
- पुलिस को इन विवरणों को आगे साझा करने से मना किया गया है, इन्हें सिर्फ जांच के लिए ही उपयोग करना होगा।
इस आदेश के साथ अदालत ने संतुलन साधने की कोशिश की गोपनीयता की रक्षा करते हुए एक परिवार की अपने गुमशुदा बेटे की बेताब तलाश को रुकने नहीं दिया।
केस का शीर्षक: श्री कृष्णमूर्ति पुत्र रामचंद्रप्पा संगीत बनाम निदेशक, यूआईडीएआई क्षेत्रीय कार्यालय एवं अन्य
केस संख्या: रिट याचिका संख्या 105596/2025 (GM-RES)