24 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में शॉभित कुमार मित्तल के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की कार्यवाही रद्द कर दी। बहस की अगुवाई कर रहीं जस्टिस बी.वी. नागरथ्ना ने कहा कि शिकायत में ठोस विवरण की कमी है और ऐसे आधार पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
पृष्ठभूमि
मामला नवंबर 2023 में मेरठ के सिविल लाइंस थाने में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। शिकायतकर्ता ज्योति गर्ग ने अपने पति मोहित मित्तल, सास शशि मित्तल और देवर शॉभित पर दहेज मांगने और मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था। उनका दावा था कि बार-बार की गई प्रताड़ना से उनके मस्तिष्क की नस फट गई, जिससे उनका दाहिना हाथ और पैर आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद शॉभित ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
अदालत की टिप्पणियाँ
दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि लगाए गए आरोप “अस्पष्ट और सामान्य” हैं। पीठ ने कहा, “केवल सामान्य आरोप लगाना, बिना किसी विशेष विवरण के, आपराधिक कार्यवाही जारी रखने के लिए पर्याप्त नहीं है।”
न्यायालय ने भजन लाल मामले का हवाला देते हुए कहा कि जब एफआईआर में ठोस घटनाएँ, तारीखें या सबूत नहीं हों, तो आपराधिक कानून आगे नहीं बढ़ सकता। अदालत ने आईपीसी की धारा 498ए के बढ़ते दुरुपयोग को लेकर चेतावनी दी और कहा, “घरेलू विवादों में अक्सर पति के पूरे परिवार को फँसाने की प्रवृत्ति देखी जाती है।”
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पीठ ने यह भी जोड़ा कि असली पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा मिलनी चाहिए, लेकिन बिना ठोस आरोपों के मुकदमे न्याय व्यवस्था पर बोझ डालते हैं और निर्दोष रिश्तेदारों को नुकसान पहुँचाते हैं।
निर्णय
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केवल शॉभित कुमार मित्तल के खिलाफ दर्ज एफआईआर और उससे जुड़ी सभी कार्यवाहियां समाप्त कर दीं। अदालत ने स्पष्ट किया कि अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला आवश्यकता अनुसार जारी रहेगा। साथ ही यह भी कहा कि “हमारे ये अवलोकन पक्षकारों के बीच लंबित अन्य कार्यवाहियों पर प्रभाव नहीं डालेंगे।”
केस का शीर्षक: शोभित कुमार मित्तल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य – सर्वोच्च न्यायालय ने दहेज उत्पीड़न की प्राथमिकी रद्द की
दिनांक: 24 सितंबर 2025