केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि त्रावणकोर-कोचीन हिन्दू धार्मिक संस्थान अधिनियम की धारा 31A के तहत गठित मंदिर सलाहकार समिति भी 'परा निरक्कल' जैसे आयोजनों के लिए भक्तों से धन संग्रह नहीं कर सकती, जब तक कि उसके पास देवस्वंम बोर्ड की पूर्व अनुमति और सहायक आयुक्त द्वारा जारी सीलबंद कूपन न हों।
यह निर्णय न्यायमूर्ति अनिल के. नरेंद्रन और न्यायमूर्ति मुरली कृष्ण एस. की खंडपीठ ने उस याचिका (WP(C) No. 10535 of 2025) पर सुनाया जो संतोष वारियर, पेरुवरम श्री महादेव मंदिर के एक भक्त, ने दायर की थी। उन्होंने मंदिर परिसर में अवैध गतिविधियों और बिना अनुमति धन संग्रह को लेकर चिंता जताई थी।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि पदिंजारे नाडा विलक्कू समिति (उत्तरदाता संख्या 7) बिना बोर्ड की अनुमति के ‘परा निरक्कल’ और ‘विलक्कू’ जैसे समानांतर उत्सव आयोजित कर रही है और भक्तों से अवैध रूप से पैसे वसूल रही है।
“धारा 31A और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अनुसार, केवल मंदिर सलाहकार समिति ही मंदिर में दैनिक पूजा, अनुष्ठानों और उत्सवों से संबंधित गतिविधियों का संचालन कर सकती है, अन्य कोई समिति नहीं।”
अदालत ने अधिनियम की धाराएं 15A, 31, 31A और नियम 35 के अंतर्गत नियम 18 की जांच की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मंदिर सलाहकार समितियों को भी तय नियमों का पालन करना अनिवार्य है और चंदा सिर्फ तभी लिया जा सकता है जब वह देवस्वंम बोर्ड से अनुमोदित हो और सहायक आयुक्त की मुहर लगे सीलबंद कूपनों के माध्यम से किया जाए।
“मंदिर सलाहकार समिति भी ‘परा निरक्कल’ के लिए भक्तों से धन एकत्र नहीं कर सकती, जब तक कि वह देवस्वंम विभाग की अनुमति और सहायक आयुक्त द्वारा जारी सीलबंद कूपनों के माध्यम से न हो।”
सातवें उत्तरदाता ने यह दलील दी कि वे केवल स्वैच्छिक चंदा ले रहे हैं, परन्तु कोर्ट ने इसे मनमाना और अवैध करार दिया। अदालत ने स्थानीय पुलिस (उत्तरदाता 8) की भी आलोचना की कि जब उन्हें अवैध चंदा संग्रह की जानकारी दी गई तो उन्होंने अपराध दर्ज करने के बजाय समझौते की कोशिश की।
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“यदि मंदिर सलाहकार समिति को वार्षिक उत्सव के लिए भक्तों से चंदा लेना है, तो यह केवल देवस्वंम बोर्ड की पूर्व अनुमति और सहायक आयुक्त द्वारा जारी सीलबंद कूपनों के माध्यम से ही किया जा सकता है।”
कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि यदि भविष्य में कोई अनधिकृत गतिविधि या मंदिर भूमि पर अवैध पार्किंग होती है, तो सहायक देवस्वंम आयुक्त या उप समूह अधिकारी संबंधित पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराएं और पुलिस तुरंत कार्रवाई करे।
केस संख्या: WP(C) संख्या 10535/2025
केस का शीर्षक: संतोष वारियर बनाम केरल राज्य और अन्य
याचिकाकर्ता के वकील: रेस्मी ए., श्रीराघ सी.आर.
प्रतिवादियों के वकील: संगीता एस. नायर, श्रीजीत सी.के., एस. राजमोहन, वरिष्ठ सरकारी वकील; जी. संतोषकुमार, एससी - टीडीबी