Logo
Court Book - India Code App - Play Store

Loading Ad...

ऑनर किलिंग से इनकार नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिग दंपति को सुरक्षा दी, एसएसपी को चेताया - नुकसान हुआ तो ज़िम्मेदार होंगे

Shivam Y.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी मर्जी से शादी करने वाले बालिग दंपति को सुरक्षा दी, पति पर दर्ज FIR पर सवाल उठाया और नुकसान की स्थिति में पुलिस को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी, अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी।

ऑनर किलिंग से इनकार नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिग दंपति को सुरक्षा दी, एसएसपी को चेताया - नुकसान हुआ तो ज़िम्मेदार होंगे

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिग व्यक्तियों के अपने जीवनसाथी चुनने के संवैधानिक अधिकार को मजबूती से कायम रखते हुए कहा कि “ऑनर किलिंग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता”। कोर्ट ने एसएसपी बुलंदशहर को सख्त चेतावनी दी कि अगर याचिकाकर्ताओं को कोई नुकसान पहुंचता है, तो वे व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे।

यह मामला तब कोर्ट में पहुंचा जब प्रिया सोलंकी के पिता ने उसके पति पीयूष गुप्ता के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 87 के तहत एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें किसी महिला को विवाह के लिए मजबूर करने या बहलाने का आरोप होता है। 23 वर्षीय प्रिया ने प्रयागराज के आर्य समाज मंदिर में पीयूष से अपनी स्वेच्छा से विवाह किया था।

Read Also:- धारा 24 हिंदू विवाह अधिनियम | दूसरी शादी में अंतरिम भरण-पोषण तय करने में पहली शादी का तथ्य अप्रासंगिक: इलाहाबाद हाईकोर्ट

“सामाजिक मान्यताएं कुछ और कह सकती हैं, लेकिन संविधान उन्हें अनुच्छेद 21 के तहत दी गई आज़ादी और एक बालिग को प्राप्त सभी स्वतंत्रताओं का अधिकार देता है।”
— इलाहाबाद हाईकोर्ट

कोर्ट ने पाया कि प्रिया और पीयूष दोनों बालिग हैं, और उनके साथ रहने के फैसले को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। इसके बावजूद पुलिस द्वारा FIR दर्ज कर जांच शुरू करना कोर्ट को "चौंकाने वाला" लगा।

Read Also:- मुंबई कोर्ट ने पति की संपत्ति का हवाला देते हुए घरेलू हिंसा के लिए मुआवज़ा ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹1 करोड़ किया

याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि प्रिया के पिता और परिवारजन से उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए परिवार के सदस्यों को किसी भी प्रकार से प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, सोशल मीडिया, फोन या अन्य माध्यम से संपर्क या उत्पीड़न करने से रोक दिया। कोर्ट ने दंपति की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए, तीन सप्ताह के भीतर प्रतिवादियों से जवाब तलब किया।

“अगर याचिकाकर्ताओं को कोई नुकसान होता है, तो बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इस न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे।”
— इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश

Read Also:- भूमि वर्गीकरण मामले में अनुचित मुकदमेबाज़ी पर केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया

कोर्ट ने आदेश की प्रति मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बुलंदशहर के माध्यम से 24 घंटे के भीतर एसएसपी को भेजने का निर्देश दिया ताकि प्रशासन त्वरित रूप से सुरक्षा सुनिश्चित कर सके।

मामले का शीर्षक: प्रिया सोलंकी एवं अन्य बनाम राज्य उत्तर प्रदेश एवं अन्य तीन

आदेश दिनांक: 2 जून 2025

पीठ: न्यायमूर्ति जे. जे. मुनिर एवं न्यायमूर्ति अनिल कुमार-X