सुप्रीम कोर्ट ने NEET-PG 2024 की AIQ (ऑल इंडिया कोटा) राउंड 3 काउंसलिंग को दोबारा आयोजित करने की याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि मध्य प्रदेश में राज्य काउंसलिंग के दूसरे राउंड में देरी के कारण सीट ब्लॉकिंग के कई मामले सामने आए थे, जिससे उम्मीदवारों को नुकसान हुआ।
"यदि हम इन तीन याचिकाकर्ताओं की याचिका स्वीकार कर लेते हैं, तो और भी कई मामले सामने आएंगे... कुछ नुकसान तो होगा ही... यह समस्या केवल मध्य प्रदेश में थी, अन्य राज्यों में नहीं।"— न्यायमूर्ति बी. आर. गवई
तीन NEET-PG 2024 उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर MCC (मेडिकल काउंसलिंग कमेटी) को AIQ राउंड 3 की काउंसलिंग को दोबारा आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की थी।
इसके अलावा, उन्होंने मांग की कि जिन राज्यों में राउंड 2 की काउंसलिंग पूरी नहीं हुई थी, वहां की सीटों को AIQ राउंड 4 के लिए उपलब्ध कराया जाए।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी अनुरोध किया कि AIQ राउंड 3 में योग्य उम्मीदवारों को NEET-PG 2024 के स्ट्रे राउंड में भाग लेने का विकल्प दिया जाए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के "अंजना चारी केस" के संदर्भ में सीट आवंटन की समय-सीमा के उल्लंघन का भी आरोप लगाया।
सीनियर एडवोकेट के परमेश्वर ने कोर्ट में तर्क दिया कि सीट ब्लॉकिंग और मध्य प्रदेश राज्य के राउंड 2 की देरी के कारण AIQ राउंड 3 में सीटों की संख्या कम हो गई थी, जिससे उम्मीदवारों को निम्न श्रेणी के विषय मिल गए।
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उन्होंने यह भी कहा कि इस देरी की वजह से कई उम्मीदवारों को राज्य कोटे की सीटों के बजाय निजी कॉलेज की सीटें मिलीं, जो उनके करियर के लिए हानिकारक हो सकता है।
"यह गलती छात्रों की नहीं, बल्कि राज्य की है। याचिकाकर्ताओं के जीवनभर के अवसर दांव पर लगे हैं।"— के परमेश्वर, सीनियर एडवोकेट
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) की ओर से उपस्थित वकील गौरव शर्मा ने कहा कि यह समस्या केवल मध्य प्रदेश तक सीमित है और इसका प्रभाव पूरे भारत की काउंसलिंग प्रक्रिया पर नहीं पड़ना चाहिए।
उन्होंने तर्क दिया कि—
- अगर इस स्तर पर कोई बदलाव किया जाता है, तो इसका असर पूरे देश की काउंसलिंग पर पड़ेगा।
- AIQ राउंड 3 में सीट स्वीकार करने वाले उम्मीदवार उन्हें खाली नहीं कर सकते और अपग्रेड नहीं कर सकते।
- अगर राज्य की सीटें खाली रह जाती हैं, तो वे अगले राउंड में चली जाती हैं, लेकिन अगर AIQ सीटें खाली होती हैं, तो पूरे भारत के उम्मीदवार उन पर दावा करने लगेंगे।
"यदि अब कोई बदलाव किया जाता है, तो इसका असर सभी राज्यों पर पड़ेगा।"
— गौरव शर्मा, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के वकील
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया।
"यह एक जटिल मामला है। यदि हम इसे स्वीकार करेंगे, तो और भी कई याचिकाएं आएंगी।"— न्यायमूर्ति बी. आर. गवई
इस फैसले के बाद AIQ राउंड 3 की काउंसलिंग प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, और आगे की काउंसलिंग उसी प्रक्रिया के तहत जारी रहेगी।
- याचिकाकर्ताओं की ओर से: सीनियर एडवोकेट के परमेश्वर और एडवोकेट तन्वी दुबे
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की ओर से: स्थायी वकील गौरव शर्मा
- भारत सरकार की ओर से: अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी