जयपुर स्थित राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को लगभग एक दशक पुरानी उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कुछ उम्मीदवारों ने नर्स ग्रेड-II भर्ती प्रक्रिया में बोनस अंक की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) के तहत उनके कार्य अनुभव के आधार पर उन्हें अतिरिक्त अंक मिलने चाहिए थे।
पृष्ठभूमि
साल 2013 में राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं विभाग ने नर्स ग्रेड-II, पब्लिक हेल्थ नर्स और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। नियमों में प्रावधान था कि सरकारी सेवा में पूर्व अनुभव रखने वाले उम्मीदवारों को अधिकतम 30 बोनस अंक दिए जा सकते हैं, बशर्ते अनुभव "समान कार्य" का हो।
सवाई माधोपुर और आसपास के जिलों से सात याचिकाकर्ताओं ने, जिनकी ओर से अधिवक्ता विजय लक्ष्मी गौत्तम ने पैरवी की, इस योजना के तहत आवेदन किया। इनमें से याचिकाकर्ता नंबर 5, रजनीश गुप्ता ने प्रमाणपत्र पेश किया जिसमें दिखाया गया कि उन्होंने अक्टूबर 2009 से फरवरी 2013 तक NRHM में “वैक्सिनेटर” (टीकाकरण कर्मी) के रूप में काम किया था। इसके आधार पर उन्होंने 20 बोनस अंकों का दावा किया। अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोई प्रमाणपत्र नहीं लगाया।
अदालत की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति आनंद शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि असली विवाद इस बात पर है कि क्या वैक्सिनेटर का काम नर्स ग्रेड-II की ड्यूटी के समान माना जा सकता है।
“विज्ञापन साफ है,” न्यायाधीश ने कहा। “बोनस अंक केवल उसी अनुभव पर दिए जा सकते हैं जो विज्ञापित पद के ‘समान प्रकृति’ का हो।” उन्होंने रेखांकित किया कि वैक्सिनेटर और नर्स ग्रेड-II के पद अलग-अलग सेवा नियमों के तहत बने हैं, इनकी जिम्मेदारियां अलग हैं और इन्हें एक जैसा नहीं ठहराया जा सकता।
राज्य की ओर से अधिवक्ता प्रखर जैन ने याचिका का कड़ा विरोध किया। सरकार ने दलील दी कि यदि इस तरह के दावों को मान लिया गया तो भर्ती मानकों की गुणवत्ता गिर जाएगी। “अगर हर संबद्ध पद को समान मान लिया जाए, तो योग्यता मानदंड तय करने का पूरा उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा,” सरकारी पक्ष ने कहा।
याचिकाकर्ताओं ने राजस्थान राज्य बनाम उपमा पारीक (2025) मामले का हवाला भी दिया, जिसमें कुछ सरकारी कार्य पर बोनस अंक दिए गए थे। लेकिन एकल पीठ ने उस मामले को अलग पाया और स्पष्ट किया कि अनुभव की समानता ही निर्णायक आधार है।
न्यायमूर्ति शर्मा ने यह भी जोड़ा, “यह न्यायालय रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए नौकरियों की समानता की तुलना नहीं कर सकता। नर्स ग्रेड-II और वैक्सिनेटर की जिम्मेदारियां एक जैसी हैं, यह साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया।”
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निर्णय
अंत में अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता अपना अधिकार साबित करने में विफल रहे हैं। लिहाजा याचिका खारिज की जाती है और भर्ती प्राधिकरणों का बोनस अंक न देने का निर्णय बरकरार रखा जाता है।
आदेश में कहा गया– “याचिका निरस्त की जाती है।” इससे उम्मीदवारों की लंबे समय से चली आ रही मांग पर विराम लग गया।
Case Title: Surendra Kumar Gupta & Others vs. State of Rajasthan & Others (Rajasthan High Court, Jaipur Bench, 18 September 2025)
Case Number: S.B. Civil Writ Petition No. 9205/2013
Petitioners: Surendra Kumar Gupta & six others (candidates for Nurse Grade-II recruitment)
Respondents: State of Rajasthan & Medical & Health Department authorities
Date of Judgment: 18 September 2025