राजस्थान और अन्य राज्यों के हजारों छात्रों को प्रभावित कर सकने वाले एक अहम कदम में, जयपुर स्थित राजस्थान हाई कोर्ट ने भारत सरकार, राज्य सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को नोटिस जारी किए हैं। यह मामला याचिकाकर्ता सुजीत स्वामी और अन्य द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जो स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रमों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा और मनोवैज्ञानिक परामर्श को शामिल करने की ज़रूरत पर केंद्रित है।
पृष्ठभूमि
डबल बेंच न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति संजीत पुरोहित के समक्ष दायर डी.बी. सिविल रिट याचिका संख्या 11889/2025 में बहस हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विशाल कुमार और उनकी टीम ने दलील दी कि शिक्षा व्यवस्था में संरचित मानसिक स्वास्थ्य मार्गदर्शन की कमी छात्रों को गंभीर नुकसान पहुँचा रही है। बढ़ता शैक्षणिक दबाव, प्रतियोगी परीक्षाओं की चुनौतियाँ और सामाजिक तनाव ने युवाओं को असुरक्षित बना दिया है। ऐसे में ज़रूरी है कि परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को अनिवार्य किया जाए।
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वहीं दूसरी ओर, सरकारी पक्ष से वरिष्ठ विधि अधिकारियों ने तत्परता दिखाई। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आर.डी. रस्तोगी ने भारत सरकार के लिए नोटिस स्वीकार किया, जबकि अतिरिक्त महाधिवक्ता एस.एस. नारुका राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। डॉ. अभिनव शर्मा और एम.एस. राघव ने अन्य प्रतिवादियों की ओर से पेशी दी, जिनमें शिक्षा बोर्ड और नियामक संस्थाएँ शामिल थीं।
अदालत की टिप्पणियाँ
बेंच ने कोई तात्कालिक आदेश तो नहीं दिया, लेकिन अपनी मंशा स्पष्ट कर दी। प्रारंभिक बहस सुनने के बाद न्यायाधीशों ने सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। उन्होंने खास तौर पर कहा कि सरकार और नियामक संस्थाएँ केवल सामान्य आश्वासन न दें, बल्कि ठोस जवाब और कार्ययोजना लेकर आएँ।
आदेश में साफ दर्ज है:
"प्रतिवादीगण के अधिवक्ता से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने सुझाव और मनोवैज्ञानिक काउंसलर उपलब्ध कराने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देंगे तथा यह भी बताएँगे कि मानसिक स्वास्थ्य और साइकोलॉजिकल मेंटेनेंस को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए वर्तमान में क्या प्रयास किए जा रहे हैं।"
इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि केंद्र, राज्य, UGC और CBSE को यह बताना होगा कि अब तक क्या किया गया है और आगे क्या करने की योजना है।
निर्णय
फिलहाल, मामले को आठ सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया गया है ताकि अधिकारी जवाब दाखिल कर सकें और विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत करें। कोर्ट का नोटिस जारी करना ही इस बात का संकेत है कि वह इस याचिका को गंभीरता से ले रही है।
अगर आने वाले आदेशों में ठोस दिशा-निर्देश आते हैं, तो स्कूल और कॉलेजों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कोर्स और समर्पित काउंसलर उपलब्ध कराना अनिवार्य करना पड़ सकता है। हजारों ऐसे छात्र जो चुपचाप संघर्ष कर रहे हैं, उनके लिए यह मामला संस्थागत सहयोग की दिशा में एक अहम शुरुआत हो सकता है।
Case Title: Sujeet Swami S/o Mr. Dayal Babu Swami & Ors. vs. Union of India & Ors.
Case Number: D.B. Civil Writ Petition No. 11889/2025