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सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्य सेन और परिवार पर दर्ज FIR को किया रद्द

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्य सेन, चिराग सेन और अन्य के खिलाफ दर्ज उम्र धोखाधड़ी मामले की FIR को सबूतों की कमी और दुरुपयोग के आधार पर रद्द किया।

सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्य सेन और परिवार पर दर्ज FIR को किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन, चिराग सेन, उनके माता-पिता और कोच विमल कुमार के खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है। इन पर यह आरोप था कि उन्होंने आयु-सीमित टूर्नामेंटों में खेलने के लिए जन्म तिथि में हेरफेर की थी। अदालत ने कहा कि शिकायत बिना ठोस प्रमाण के की गई थी और इसका उद्देश्य केवल बदनाम करना था।

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मामला

शिकायतकर्ता श्री नागराज एम.जी. ने जून 2022 में आरोप लगाया कि चिराग सेन और लक्ष्य सेन ने अपनी उम्र को कम बताकर अंडर-13 और अंडर-15 टूर्नामेंटों में भाग लिया। उनके माता-पिता और कोच पर दस्तावेजों में हेरफेर करने का आरोप लगाया गया।

शुरुआत में पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की, तो एक प्राइवेट शिकायत के बाद 1 दिसंबर 2022 को FIR नंबर 194/2022 दर्ज हुई, जिसमें IPC की धारा 420, 468, 471, और 34 लगाई गई थीं।

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सीनियर अधिवक्ता सी.ए. सुंदरम ने तर्क दिया कि:

  • यह मामला व्यक्तिगत दुश्मनी और बदले की भावना से प्रेरित है।
  • आधार दस्तावेज 1996 का GPF नामांकन फॉर्म है, जो असत्यापित है और उसमें लक्ष्य सेन का नाम तक नहीं है।
  • सभी आधिकारिक दस्तावेज, जैसे जन्म प्रमाणपत्र और कक्षा 10 की मार्कशीट, एक जैसे हैं और कभी चुनौती नहीं दी गई।
  • AIIMS समेत सरकारी अस्पतालों में मेडिकल टेस्ट से उम्र की पुष्टि हो चुकी है।
  • SAI और CVC जैसी शीर्ष संस्थाएं पहले ही जांच कर चुकी हैं और मामले को बंद कर चुकी हैं।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने शिकायत को खारिज करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि:

“RTI से प्राप्त दस्तावेज जांच के लिए पर्याप्त आधार प्रदान करते हैं, और प्रशासनिक निष्कर्ष आपराधिक जांच को नहीं रोक सकते।”

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कार्यवाही कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। जस्टिस अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा:

“यह आरोप केवल अटकलों पर आधारित हैं और अपीलकर्ताओं को बदनाम करने के उद्देश्य से लगाए गए हैं। कोई आपराधिक मंशा या गलत लाभ नहीं दिखाया गया है।”

अदालत ने यह भी कहा कि:

  • 1996 का GPF फॉर्म बिना प्रमाणीकरण के है और उसका कोई कानूनी महत्व नहीं है।
  • इसमें यह नहीं दिखाया गया कि खिलाड़ियों या कोच ने कोई धोखाधड़ी की।
  • पहले की जांचों में कुछ भी गलत नहीं पाया गया था और यह शिकायत निजी द्वेष से प्रेरित है।

“ऐसे खिलाड़ियों को जबरदस्ती आपराधिक मुकदमे में घसीटना न्याय के हित में नहीं होगा।”

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अदालत ने सभी कार्यवाहियां रद्द करते हुए कहा:

  • FIR नंबर 194/2022 (01.12.2022) रद्द
  • P.C.R. नंबर 14448/2022 रद्द
  • हाई कोर्ट का 19.02.2025 का फैसला रद्द