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सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटना में पैर गंवाने वाले इंजीनियरिंग छात्र को अधिक मुआवज़ा देने का आदेश दिया

Vivek G.

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक युवा इंजीनियरिंग छात्र को ₹91.39 लाख का मुआवज़ा देने का आदेश दिया, जिसने एक सड़क दुर्घटना में अपना पैर गंवा दिया। न्यायालय ने सह-त्रुटि और बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी पर अहम फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटना में पैर गंवाने वाले इंजीनियरिंग छात्र को अधिक मुआवज़ा देने का आदेश दिया

29 जुलाई 2025 को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इंजीनियरिंग के छात्र एस. मोहम्मद हक्किम को ₹91.39 लाख का मुआवज़ा देने का आदेश दिया, जिन्होंने एक सड़क दुर्घटना में अपना बायां पैर गंवा दिया था। अदालत ने मद्रास हाई कोर्ट द्वारा तय ₹58.53 लाख की राशि को संशोधित करते हुए यह निर्णय दिया, और सह-त्रुटि (contributory negligence) तथा भविष्य की आय की क्षति को संतुलित दृष्टिकोण से देखा।

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केस की पृष्ठभूमि

7 जनवरी 2017 को हक्किम अपने दोस्त के साथ बाइक चला रहे थे, जब उनके आगे चल रही कार ने अचानक ब्रेक लगाया। नतीजतन, बाइक कार से टकरा गई और पीछे से आ रही बस ने हक्किम को कुचल दिया, जिससे उनकी जानलेवा चोटें आईं।

“दुर्घटना का मूल कारण कार चालक द्वारा अचानक ब्रेक लगाना था, जो कि हाईवे पर बिना चेतावनी के पूरी तरह अनुचित है,” अदालत ने कहा।

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कार को उत्तरदाता संख्या 3 और बस को उत्तरदाता संख्या 1 (नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड) द्वारा बीमा कवर प्राप्त था।

  • मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल ने ₹91.62 लाख का मुआवज़ा तय किया, जिसे 20% सह-त्रुटि के आधार पर घटाकर ₹73.29 लाख कर दिया गया।
  • मद्रास हाई कोर्ट ने इस पर पुनर्विचार करते हुए:
    • त्रुटि अनुपात को बदला: हक्किम 30%, बस चालक 30%, कार चालक 40%
    • सहायक शुल्क को ₹18 लाख से घटाकर ₹5 लाख कर दिया
    • भविष्य की चिकित्सा व्यय के लिए ₹5 लाख की मंजूरी दी

सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों निचली अदालतों के फैसलों में त्रुटियां पाईं:

  • त्रुटि अनुपात संशोधित:
    • अपीलकर्ता (हक्किम): 20%
    • कार चालक: 50%
    • बस चालक: 30%
  • कल्पित आय बढ़ाई गई:
    इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, मासिक कल्पित आय ₹15,000 के बजाय ₹20,000 निर्धारित की गई।

“एक इंजीनियरिंग छात्र भविष्य में कम से कम ₹20,000 प्रति माह कमा सकता है,” अदालत ने नवजोत सिंह बनाम हरप्रीत सिंह मामले का हवाला देते हुए कहा।

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  • मल्टीप्लायर (Multiplier): 18
  • भविष्य की वृद्धि (Future Prospects): 40%
  • आय का कुल नुकसान: ₹60.48 लाख

संशोधित मुआवज़ा विवरण

शीर्षकराशि
आय की क्षति₹60,48,000
सहायक शुल्क₹18,00,000
पीड़ा और दुःख₹2,00,000
वैवाहिक संभावनाओं की क्षति₹5,00,000
असुविधा₹1,00,000
अतिरिक्त पोषण₹50,000
चिकित्सा बिल₹22,03,066
परिवहन व्यय₹20,000
कपड़ों को नुकसान₹3,000
भविष्य की चिकित्सा व्यय₹5,00,000
कुल मुआवज़ा₹1,14,24,066

20% सह-त्रुटि घटाकर, अंतिम स्वीकृत राशि: ₹91,39,253, जिस पर 7.5% वार्षिक ब्याज लागू होगा, दावे की फाइलिंग तिथि से।

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“मुआवज़े की राशि इस आदेश की तिथि से चार सप्ताह के भीतर भुगतान की जानी चाहिए। बीमा जिम्मेदारी कार बीमाकर्ता द्वारा 50% और बस बीमाकर्ता द्वारा 30% वहन की जाएगी।”

यह फैसला राजमार्गों पर वाहन चालकों की जिम्मेदारी को दोहराता है और दुर्घटना पीड़ितों के लिए न्यायसंगत मुआवज़ा सुनिश्चित करता है, खासकर तब जब उनकी पूरी जिंदगी प्रभावित हो जाती है।

केस का शीर्षक: एस. मोहम्मद हकीम बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं अन्य

केस संख्या: विशेष अनुमति याचिका (सिविल) संख्या 28062–63/2023