28 जुलाई, 2025 को हाल ही में हुई सुनवाई में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने वाई.आर. विन्सेंक्ट एंड ऑर्स द्वारा जॉइंट रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज एंड ऑर्स के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका (सी) नंबर 19771/2025 को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं को याचिका वापस लेने और कानून के तहत उपलब्ध वैधानिक उपायों का पीछा करने की अनुमति दी गई।
मामले की पृष्ठभूमि
यह याचिका 4 मार्च, 2025 के केरल हाई कोर्ट, एर्नाकुलम द्वारा डब्ल्यूए नंबर 1620/2024 में पारित आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति की मांग करती थी।
इस मामले की सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और माननीय न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्री नायडू ने अधिवक्ता आशीष जैकब मैथ्यू, सबरी सी.पी. और एओआर मनु कृष्णन जी के साथ पैरवी की।
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सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्री नायडू ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी और कहा कि याचिकाकर्ता कानून के तहत उपलब्ध वैधानिक उपायों का पीछा करना चाहते हैं।
"याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्री नायडू ने कहा कि उन्हें वर्तमान याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए, ताकि याचिकाकर्ता कानून के तहत उपलब्ध वैधानिक उपायों का लाभ उठा सकें, जिन पर आरोपित आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी से प्रभावित हुए बिना उनके अपने मेरिट पर विचार किया जाना चाहिए।"
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इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी को वापस लेने के रूप में खारिज कर दिया, और याचिकाकर्ताओं को अन्य कानूनी उपायों का पीछा करने की स्वतंत्रता प्रदान की।
न्यायालय के इस आदेश से सुनिश्चित होता है कि याचिकाकर्ता संबंधित वैधानिक प्राधिकरणों के पास जा सकते हैं और उन पर हाई कोर्ट के आरोपित आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी का प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह इस सिद्धांत को मजबूत करता है कि प्रत्येक कानूनी उपाय पर उसके अपने मेरिट पर स्वतंत्र रूप से विचार किया जाना चाहिए।
केस का शीर्षक: Y.R. Vincent & Ors. vs. Joint Registrar of Cooperative Societies & Ors.
केस संख्या: Special Leave Petition (Civil) No. 19771 of 2025