सोमवार को आए एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उस युवा अधिवक्ता को राहत दी, जिसे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कथित पेशेवर अनुचित आचरण के लिए फटकार लगाई थी। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने वकील की ईमानदारी पर सवाल उठाने वाली टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाने का आदेश दिया।
पृष्ठभूमि
यह मामला 2022 से जुड़ा है, जब अधिवक्ता सिद्धार्थ ने जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अपने मुवक्किलों की ओर से मेडिकल संस्थानों में प्रवेश नियमों को चुनौती देते हुए पैरवी की। सुनवाई के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, लेकिन हाईकोर्ट को लगा कि उन्होंने 2020 के एक पहले फैसले का ज़िक्र नहीं किया, जिसमें उन्हीं नियमों को सही ठहराया गया था। अप्रैल 2022 के आदेश में हाईकोर्ट ने उनकी कार्यप्रणाली को “पेशेवर अनुचित आचरण की सीमा पर” बताया और कड़े शब्दों में असंतोष दर्ज किया।
Read also:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समझौते के बाद पति-पत्नी के बीच चल रहा आपराधिक मामला किया खत्म
सिद्धार्थ ने इसे अपनी प्रतिष्ठा पर आघात मानते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। उनके वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ भटनागर ने दलील दी कि यह चूक जानबूझकर नहीं हुई और यह भी बताया कि सिद्धार्थ उस 2020 के मामले में कभी वकील रहे ही नहीं।
सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट की टिप्पणी को ध्यान से परखा। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, “यह संभावना नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकती कि यह तथ्य अपीलकर्ता के ध्यान से छूट गया हो। प्रतिकूल टिप्पणियों से बचा जा सकता था।”
पीठ ने अधिवक्ता द्वारा दी गई बिना शर्त माफ़ी और यह स्पष्टिकरण भी ध्यान में रखा कि कोर्ट को गुमराह करने की कोई मंशा नहीं थी। खास बात यह रही कि नोटिस मिलने के बावजूद राज्य सरकार या अन्य प्रतिवादी पक्ष से कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ और मामला एकतरफ़ा ही अपीलकर्ता के पक्ष में गया।
Read also:- सुप्रीम कोर्ट ने 17 साल पुराने कर्नाटक आत्महत्या उकसावे मामले में महिला को बरी किया
निर्णय
अंततः सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि हाईकोर्ट द्वारा सिद्धार्थ के खिलाफ की गई टिप्पणियाँ रिकॉर्ड से हटा दी जाएँ। साथ ही, जनवरी 2024 का हाईकोर्ट का आदेश भी रद्द कर दिया गया, जिसमें इन टिप्पणियों को हटाने से इंकार किया गया था।
संक्षेप में, देश की सर्वोच्च अदालत ने अधिवक्ता का दामन पूरी तरह साफ़ कर दिया है और यह सुनिश्चित किया कि उनके पेशेवर रिकॉर्ड पर कोई दाग़ न रहे। अपीलों का निपटारा इन्हीं शब्दों में किया गया।
मामला: सिद्धार्थ बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य
मामला प्रकार: सिविल अपील (विशेष अनुमति याचिका (सिविल) संख्या 23725-23726/2024 से उत्पन्न)