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सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता में समझौते के बाद विवाह समाप्त किया, सभी लंबित सिविल और क्रिमिनल केस बंद किए

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के बाद विवाह समाप्त किया; ₹31 लाख भरण-पोषण भुगतान, सभी केस वापस। अनुच्छेद 142 के तहत अंतिम तलाक आदेश।

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता में समझौते के बाद विवाह समाप्त किया, सभी लंबित सिविल और क्रिमिनल केस बंद किए

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुनमुन बंद्योपाध्याय और उनके पति सोमेश्वर भट्टाचार्य के बीच लंबे समय से चल रहे वैवाहिक विवाद को समाप्त करते हुए मामले का निपटारा कर दिया, जब दोनों पक्षों ने अदालत को बताया कि वे मध्यस्थता के माध्यम से एक सौहार्दपूर्ण समझौते पर पहुँच चुके हैं। अदालत के भीतर माहौल शांत था, और दोनों ओर के वकीलों ने पुष्टि की कि समझौता कई महीनों की बातचीत के बाद संभव हुआ।

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Background (पृष्ठभूमि)

मुनमुन और सोमेश्वर का विवाह अप्रैल 2012 में पश्चिम बंगाल के आसनसोल में हुआ था। यह दंपति लगभग एक वर्ष तक साथ रहे, जिसके बाद अगस्त 2013 में गंभीर मतभेदों के कारण अलग हो गए। इस विवाह से कोई संतान नहीं हुई।

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समय के साथ यह विवाद कानूनी रूप लेता गया। मुनमुन ने बेंगलुरु की एक फैमिली कोर्ट में भरण-पोषण का मामला दायर किया था, जबकि सोमेश्वर ने पश्चिम बंगाल के अलीपुर में तलाक का मामला दर्ज कराया। बाद में मुनमुन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए तलाक केस को बेंगलुरु स्थानांतरित करने की मांग की, ताकि वह सुनवाई में आराम से भाग ले सकें।

Court’s Observations (अदालत की टिप्पणियाँ)

जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने इस बात को स्वीकार किया कि दोनों पक्ष पहले ही सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता केंद्र में कई सत्रों के माध्यम से अपनी बात रख चुके थे। मई से अगस्त 2025 के बीच शारीरिक और वर्चुअल दोनों माध्यमों में हुई इन बैठकों ने विवाद सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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“पीठ ने टिप्पणी की, ‘दोनों पक्षों ने पुष्टि की है कि वे अपनी स्वतंत्र इच्छा से, बिना किसी दबाव या धमकी के, इस समझौते पर पहुँचे हैं। न्यायालय संतुष्ट है कि यह समझौता वास्तविक है।’”

समझौते के अनुसार, सोमेश्वर ने मुनमुन को स्थायी भरण-पोषण के रूप में ₹31 लाख का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की। यह राशि अदालत में आदेश दर्ज करने से पहले पूरी तरह अदा कर दी गई थी।

समझौते में यह भी स्पष्ट किया गया है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ दायर सभी मुकदमे वापस लेंगे और भविष्य में किसी भी प्रकार का सिविल या क्रिमिनल दावा नहीं करेंगे-चाहे वह संपत्ति, भरण-पोषण, या कोई अन्य मामला क्यों न हो।

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Decision (निर्णय)

हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन की समीक्षा के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेष अधिकारों का उपयोग करते हुए आपसी सहमति से तलाक प्रदान किया। अब यह विवाह औपचारिक रूप से समाप्त हो चुका है। इस विवाद से जुड़े सभी कानूनी मामले, किसी भी अदालत में लंबित हों, समाप्त माने जाएंगे।

ट्रांसफ़र याचिका को उसी अनुसार निपटाया गया और लंबित सभी आवेदन भी खारिज कर दिए गए।

Case: Munmun Bandyopadhyay v. Someshwar Bhattacharya – Marriage Dissolved After Settlement in Supreme Court

Case Type: Transfer Petition (Civil) No. 762/2025

Court: Supreme Court of India

Bench: Justice J.B. Pardiwala and Justice K.V. Viswanathan

Marriage Details: Couple married on 25 April 2012 in Asansol, West Bengal.

Separation: Living separately since 10 August 2013; no children from the marriage.

Alimony: Husband agreed and paid ₹31,00,000 as full and final settlement to wife.

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