Supreme Court of India ने मध्य प्रदेश के एक निर्वाचित सरपंच को अहम राहत देते हुए उसके आपराधिक मामले में आत्मसमर्पण की अनिवार्यता से अस्थायी छूट प्रदान की है। यह आदेश ऐसे समय आया है, जब मामला हाईकोर्ट में लंबित है और आरोपी का कहना था कि आत्मसमर्पण करने पर उसकी निर्वाचित पद से निलंबन की आशंका है।
29 दिसंबर 2025 को सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय की अवकाश पीठ ने यह निर्देश जारी किए।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता Nihal Singh ग्राम पंचायत मानपुर, तहसील जौरा, जिला मुरैना (मध्य प्रदेश) के निर्वाचित सरपंच हैं। उनके खिलाफ वर्ष 2008 के एक आपराधिक मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 147 और 325/149 के तहत दोष सिद्ध हुआ था। निचली अदालत ने उन्हें दो साल के कठोर कारावास और ₹500 जुर्माने की सजा सुनाई थी।
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इस सजा के खिलाफ दायर अपील को सत्र न्यायालय ने 17 फरवरी 2023 को खारिज कर दिया। इसके बाद निहाल सिंह ने Madhya Pradesh High Court में आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दाखिल की।
हाईकोर्ट में विवाद
हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ता ने आत्मसमर्पण से छूट की मांग की थी।
हालांकि, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट नियम, 2008 का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि “जब तक आरोपी ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं करता, तब तक उसकी आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती।”
यही आदेश निहाल सिंह के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का कारण बना।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने की। याचिकाकर्ता की ओर से यह दलील दी गई कि आत्मसमर्पण की स्थिति में उन्हें सरपंच पद से निलंबित किया जा सकता है, जिससे गांव की जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि के अधिकार प्रभावित होंगे।
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पीठ ने हाईकोर्ट नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने की कोशिश को स्वीकार नहीं किया।
अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“नियमों की संवैधानिकता को इस कार्यवाही में परोक्ष रूप से चुनौती नहीं दी जा सकती। इसके लिए याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार अलग उपाय अपनाना होगा।”
अदालत का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने न्याय के हित में संतुलित रुख अपनाते हुए निहाल सिंह को आठ सप्ताह की अवधि के लिए आत्मसमर्पण से छूट प्रदान कर दी।
साथ ही अदालत ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि वह याचिकाकर्ता द्वारा दायर आत्मसमर्पण से छूट की अर्जी पर शीघ्र और सहानुभूतिपूर्वक विचार करे।
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पीठ ने यह भी कहा कि,
“यदि याचिकाकर्ता को आत्मसमर्पण करना पड़ा, तो उसके निर्वाचित सार्वजनिक पद से निलंबन की वास्तविक संभावना है, जिसे ध्यान में रखा जाना चाहिए।”
इन टिप्पणियों के साथ विशेष अनुमति याचिका का निपटारा कर दिया गया और सभी लंबित अर्ज़ियां भी समाप्त कर दी गईं।
Case Title: Nihal Singh v. State of Madhya Pradesh & Ors.
Case No.: SLP (Criminal) Diary No. 73496/2025
Case Type: Criminal – Special Leave Petition
Decision Date: 29 December 2025















