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क्लब-मेंबर सेवाओं पर GST केस में सुप्रीम कोर्ट का IMA को नोटिस

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने क्लबों द्वारा सदस्यों को दी गई सेवाओं पर जीएसटी लगाने को लेकर केरल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर नोटिस जारी किया।

क्लब-मेंबर सेवाओं पर GST केस में सुप्रीम कोर्ट का IMA को नोटिस

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस केंद्र सरकार की उस याचिका पर जारी हुआ है जिसमें केरल हाईकोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें CGST अधिनियम, 2017 के उन प्रावधानों को रद्द कर दिया गया था जो क्लबों और एसोसिएशनों द्वारा अपने सदस्यों को दी गई सेवाओं पर जीएसटी लगाने की अनुमति देते हैं।

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"भारतीय चिकित्सा संघ के खिलाफ कोई वसूली कार्रवाई नहीं की जाएगी," सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आदेश दिया।

न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की पीठ ने यह आदेश पारित किया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमण केंद्र की ओर से पेश हुए। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार, जो IMA की ओर से पेश हुए, ने अदालत से पिछली अवधि की वसूली ना करने का आग्रह किया, जिसे पीठ ने स्वीकार कर लिया।

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यह विवाद तब शुरू हुआ जब IMA ने अपने सदस्यों को दी जाने वाली सेवाओं (जैसे मेडिकल ट्रेनिंग, कॉन्फ्रेंस आदि) पर GST वसूली के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। IMA ने म्युचुअलिटी सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा कि क्लब और उसके सदस्य एक ही इकाई माने जाते हैं, इसलिए उनके बीच की सेवाएं कर योग्य नहीं हो सकतीं।

हालांकि, वित्त अधिनियम, 2021 के ज़रिए GST कानूनों में संशोधन कर CGST अधिनियम और केरल GST अधिनियम (KGST) की धारा 2(17)(e) और धारा 7(1)(aa) में बदलाव किया गया। इन बदलावों को 1 जुलाई 2017 से प्रभावी घोषित किया गया, जिससे क्लबों द्वारा सदस्यों को दी गई सेवाओं को कर योग्य आपूर्ति माना गया।

IMA ने इस संशोधन को संवैधानिक रूप से चुनौती दी। केरल हाईकोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति डॉ. जयराजकरण नांबियार और न्यायमूर्ति एस ईश्वरन शामिल थे, ने IMA के पक्ष में निर्णय दिया।

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CGST और KGST अधिनियम की धारा 2(17)(e), धारा 7(1)(aa) और उनकी व्याख्या असंवैधानिक और शून्य घोषित की जाती हैं,” हाईकोर्ट ने कहा।

अदालत ने कहा कि ये प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 246A की ‘सप्लाई’ की परिभाषा के खिलाफ हैं और इसलिए ये संविधान से बाहर (Ultra Vires) हैं।

हाईकोर्ट ने पिछली तारीख से लागू करने पर भी आपत्ति जताई:

"जब पक्षों को पहले से कर का अंदेशा नहीं था, तब पिछली तारीख से टैक्स लगाना न्याय और कानून के शासन के खिलाफ है," अदालत ने कहा।

भले ही केरल हाईकोर्ट का निर्णय फिलहाल प्रभावी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नोटिस से यह साफ है कि कानूनी लड़ाई अब उच्च स्तर पर जारी रहेगी। केंद्र सरकार ने इस फैसले को चुनौती दी है और अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि क्लब और उसके सदस्यों के बीच की सेवाओं पर GST लगाना वैध है या नहीं।

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फिलहाल, अदालत ने IMA को राहत दी है और कहा है कि कोई भी रिकवरी कार्रवाई तब तक नहीं की जाए, जब तक अंतिम निर्णय नहीं आ जाता।

केस विवरण: यूनियन ऑफ इंडिया बनाम इंडियन मेडिकल एसोसिएशन | एसएलपी(सी) संख्या 18349-18350/2025