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कोढ़ प्रभावित व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव वाले कानून हटाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को कोढ़ प्रभावित व्यक्तियों के खिलाफ मौजूद पुराने और भेदभावपूर्ण कानूनों की समीक्षा कर उन्हें संशोधित करने का निर्देश दिया है। कमेटियों का गठन कर, तय समयसीमा में अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी।

कोढ़ प्रभावित व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव वाले कानून हटाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश

एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई 2025 को कोढ़ प्रभावित और इलाज पा चुके व्यक्तियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कानूनों को लेकर सख्त रुख अपनाया। यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ के समक्ष पेश हुआ, जहां उन्होंने संबंधित नियमों, अधिनियमों और निर्देशों से अपमानजनक व भेदभावकारी भाषा हटाने की आवश्यकता पर बल दिया।

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“संविधान लागू होने से पहले और बाद के सभी राज्य कानूनों में कोढ़ प्रभावित या इलाज पा चुके व्यक्तियों के खिलाफ मौजूद भेदभावपूर्ण शब्दों की पहचान की जाए।” — सुप्रीम कोर्ट आदेश दिनांक 07.05.2025

7 मई 2025 को दिए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और विधि सचिवों को निर्देश दिया था कि वे कानून और न्याय विभाग के तीन अधिकारियों की कमेटी बनाएं। यह कमेटी मुख्य जिला न्यायाधीश के पद पर कार्यरत अधिकारी की अध्यक्षता में गठित की जानी चाहिए, और संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद बनाई जाए।

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  1. कानूनों की समीक्षा: केंद्र व राज्य सरकार के सभी अधिनियम, नियम, सेवा नियम (अनुच्छेद 309 के अंतर्गत), और उपविधियों में मौजूद भेदभावपूर्ण शब्दों की पहचान करना।
  2. संशोधन की सिफारिश: उपयुक्त बदलाव सुझाना और इन्हें राज्य सरकार को सौंपना।
  3. अनुपालन की निगरानी: राज्य सरकारें इन सिफारिशों पर शीघ्र कार्रवाई करें।

निम्नलिखित राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों ने कमेटियों के गठन की पुष्टि करते हुए अनुपालन हलफनामे दायर किए हैं:

  • पश्चिम बंगाल
  • कर्नाटक
  • अरुणाचल प्रदेश
  • महाराष्ट्र
  • गुजरात
  • बिहार
  • उत्तर प्रदेश
  • दिल्ली (एनसीटी)
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
  • दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव
  • तमिलनाडु
  • चंडीगढ़

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“जिन राज्यों ने अब तक अनुपालन नहीं किया है, वे दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई करें और अनुपालन हलफनामा दाखिल करें।” — सुप्रीम कोर्ट

इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जहां भी कमेटियों का गठन हो चुका है, वहां उन्हें तत्काल आदेश के पैरा 4 और 5 के अनुसार कार्यवाही प्रारंभ करनी होगी।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी इस विषय पर स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि आदेश की प्रति NHRC सचिव को भेजी जाए, और आयोग के अध्यक्ष की अनुमति के बाद विस्तृत रिपोर्ट या सिफारिश कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।

जिन राज्यों में कमेटियाँ गठित हो चुकी हैं, उन्हें:

  • कमेटियों की सिफारिशों के आधार पर की गई कार्रवाई की स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
  • यह रिपोर्ट अगली सुनवाई से एक सप्ताह पूर्व दाखिल करनी होगी।

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कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 नवंबर 2025 की तारीख निर्धारित की है।

“सभी राज्यों के मुख्य सचिव सुनिश्चित करें कि रिपोर्ट समय पर कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।” — सुप्रीम कोर्ट

मामले का शीर्षक: कुष्ठ रोग संगठनों का संघ (FOLO) एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य

मामले का प्रकार: रिट याचिका (सिविल) संख्या 83/2010

संबंधित मामला: W.P. (C) संख्या 1151/2017 (PIL-W)

याचिकाकर्ता: कुष्ठ रोग संगठनों का संघ (FOLO) एवं अन्य

प्रतिवादी: भारत संघ एवं अन्य

आदेश की तिथि: 30 जुलाई 2025

अगली सुनवाई की तिथि: 12 नवंबर 2025