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चिकित्सा व सेल्स प्रतिनिधियों की कार्य परिस्थितियों पर दायर जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने मांगे विस्तृत सुझाव, केंद्र को निर्देशित किया कि समय पर जवाब दे

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल सेल्स प्रतिनिधियों पर दायर PIL में पक्षों से स्पष्ट सुझाव मांगे; केंद्र को समय-सीमा दी गई; सुनवाई 16 दिसंबर को फिर होगी।

चिकित्सा व सेल्स प्रतिनिधियों की कार्य परिस्थितियों पर दायर जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने मांगे विस्तृत सुझाव, केंद्र को निर्देशित किया कि समय पर जवाब दे

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट नंबर 3 में काफी भीड़ थी, जहां मेडिकल और सेल्स प्रतिनिधियों की कार्य परिस्थितियों और नियामकीय ढांचे पर लंबित जनहित याचिका (PIL) पर संक्षिप्त सुनवाई हुई। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने आज ज्यादा लंबी बहस नहीं कराई, लेकिन वरिष्ठ वकीलों के बीच हुई बातचीत से साफ लगा कि यह मामला अब एक अधिक संरचित चरण की ओर बढ़ रहा है। अदालत में हल्की-सी अधीरता भी थी-मानो जज चाहते हों कि सभी पक्ष बहस को सीधा और लिखित रूप में रखें, ताकि बात आगे बढ़ सके।

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पृष्ठभूमि

यह जनहित याचिका फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेज़ेंटेटिव्स एसोसिएशंस ऑफ इंडिया द्वारा दायर की गई थी, जिसमें फार्मा-मार्केटिंग क्षेत्र में कथित अनैतिक प्रथाओं, खराब कार्य परिस्थितियों, और प्रतिनिधियों के लिए स्पष्ट कानूनी सुरक्षा की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए गए थे।

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पिछले कुछ वर्षों में यह मामला और भी व्यापक हो गया है-कई हस्तक्षेप याचिकाएँ दायर की गईं, जिनमें उद्योग समूहों से लेकर सामाजिक संगठनों तक सब शामिल हो गए। एक अधिवक्ता ने कोर्ट रूम के बाहर मज़ाक में कहा, “ये मामला तो बहुत layered हो चुका है… हर किसी को कुछ न कुछ कहना है।”

आज की सुनवाई मुख्य रूप से प्रक्रियात्मक थी, लेकिन महत्वपूर्ण इसलिए भी क्योंकि अदालत ने समय-सीमा तय करके मामले को अधिक स्पष्ट दिशा देने की कोशिश की।

अदालत की टिप्पणियाँ

जस्टिस नाथ इस बात पर जोर देते दिखे कि लंबी-लंबी दलीलों और भारी फाइलों को छोटे, स्पष्ट नोट्स में बदला जाए। एक मौके पर बेंच ने याचिकाकर्ताओं की ओर देखते हुए कहा-“बेंच ने टिप्पणी की, ‘कृपया एक संक्षिप्त नोट दे दीजिए। सब कुछ मौखिक रूप से समझना संभव नहीं है।’”

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याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय परिख ने सहमति जताई और अदालत को आश्वस्त किया कि वह मुद्दों और प्रस्तावित दिशानिर्देशों का एक संरचित नोट तीन दिनों में सौंप देंगे। कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह नोट ए.एस.जी. के.एम. नटराज के साथ-साथ वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, कविन गुलाटी और गौरव शर्मा को भी साझा किया जाए-जो विभिन्न प्रतिवादियों की ओर से पेश हो रहे हैं।

सरकार की ओर से ए.एस.जी. नटराज ने आज सुनवाई के दौरान अधिक टिप्पणी नहीं की, लेकिन अदालत ने आदेश में दर्ज किया कि वह “तीन सप्ताह के भीतर स्पष्ट निर्देश प्राप्त करें।” इससे साफ संकेत मिला कि केंद्र सरकार को अब अपना स्पष्ट रुख प्रस्तुत करना होगा।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित अधिवक्ता कलीस्वरम राज को भी तीन दिनों में अपने सुझाव भेजने का निर्देश दिया गया। कोर्ट ने अन्य सभी प्रतिवादियों को भी मौजूदा संक्षिप्त प्रस्तुतियों पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दाखिल करने के लिए कहा, मानो अदालत अब चर्चा को नाज़ुक बिंदुओं तक सीमित करना चाहती है।

सुनवाई के दौरान हल्का-फुल्का हास्य भी देखने को मिला, जब एक वकील ने एक और अतिरिक्त दस्तावेज़ की बात उठाई तो जस्टिस मेहता ने मुस्कराते हुए कहा, “दस्तावेज़ों की संख्या मत बढ़ाइए। हमें स्पष्टता चाहिए, वॉल्यूम नहीं।”

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निर्णय

बेंच ने सुनवाई समाप्त करते हुए निर्देश दिया कि सभी पक्ष निर्धारित समय में अपने नोट्स, सुझाव और प्रतिक्रियाएँ दाखिल करें। महत्वपूर्ण रूप से, मामले को 16 दिसंबर 2025 के लिए सूचीबद्ध किया गया, यह उल्लेख करते हुए कि यह “HIGH ON BOARD, fresh matters के तुरंत बाद” लिया जाएगा।

यह आदेश सभी पक्षों को संक्षिप्त लिखित रुख प्रस्तुत करने की दिशा में धकेलता है, इससे पहले कि अदालत विस्तृत सुनवाई शुरू करे।

अब यह मामला 16 दिसंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुना जाएगा।

Case Title: Federation of Medical & Sales Representatives PIL on Working Conditions and Ethical Pharma Practices

Case Type: Public Interest Litigation (PIL) – W.P.(C) No. 323/2021 & Connected Matters

Court: Supreme Court of India, Court No. 3

Bench: Justice Vikram Nath & Justice Sandeep Mehta

Petitioner: Federation of Medical and Sales Representatives Associations of India (FMRAI) & Others

Respondents: Union of India & Various Pharma/Industry Stakeholders

Date of Hearing: 18 November 2025

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