इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ज़मानत पर रिहा कोई भी आरोपी महज़ किसी रिश्तेदार की शादी में शामिल होने या छुट्टियाँ मनाने जैसे गैर-जरूरी कारणों से विदेश जाने का स्वाभाविक अधिकार नहीं रखता।
न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने आरोपी आदित्य मूर्ति की याचिका खारिज करते हुए यह बात कही और ज़ोर दिया कि ऐसी विदेश यात्रा केवल तब ही मंजूर की जा सकती है जब कारण अत्यंत आवश्यक और जरूरी हो।
“एक आरोपी जिसे ज़मानत पर रिहा किया गया है, उसे विदेश यात्रा की अनुमति केवल अत्यावश्यक कारणों जैसे चिकित्सा उपचार या अनिवार्य आधिकारिक कार्यों के लिए दी जा सकती है… किसी विदेशी देश में रिश्तेदार की शादी और दूसरे देश में सैर-सपाटा जैसे कारण किसी भी स्थिति में ज़मानत पर चल रहे आरोपी के लिए आवश्यक नहीं माने जा सकते,” कोर्ट ने कहा।
मूर्ति, जिन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कई धाराओं में मामला दर्ज है, ने स्पेशल सीबीआई जज लखनऊ के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उन्हें अमेरिका जाकर अपने पिता की बहन के पोते की शादी में शामिल होने और फिर पेरिस व नीस (फ्रांस) घूमने की अनुमति से इनकार कर दिया गया था।
विशेष न्यायाधीश ने इस आधार पर याचिका खारिज की थी कि मामले की निगरानी स्वयं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कर रहे हैं और ऐसे में यदि उन्हें विदेश जाने की अनुमति दी गई, तो इससे मुकदमे के निपटारे में अनावश्यक देरी हो सकती है।
मूर्ति के वकील ने दलील दी कि आरोपी पिछले 15 वर्षों से मुकदमे में सहयोग कर रहे हैं और महज़ 22 दिनों की अनुपस्थिति से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी कई बार उन्हें विदेश यात्रा की अनुमति दी गई थी और वह हर बार लौटे हैं।
हाईकोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि यह मामला सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर शुरू हुआ था और ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही अब रक्षा साक्ष्य के चरण में पहुंच चुकी है। मूर्ति पर धारा 120-बी सहपठित 420 आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) सहपठित धारा 13(1)(डी) के तहत आरोप तय किए गए हैं।
कोर्ट ने अपने पुराने फैसले जितेंद्र बनाम राज्य उत्तर प्रदेश (2022) का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि ज़मानत पर रिहा व्यक्ति न्यायालय की संरचनात्मक हिरासत में रहता है।
“इसलिए, अभियुक्त पूर्ण स्वतंत्रता का आनंद नहीं ले सकता और उसकी स्वतंत्रता पर युक्तिसंगत प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, जिसमें देश से बाहर जाने पर प्रतिबंध भी शामिल है,” कोर्ट ने कहा।
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इन कानूनी तथ्यों और ट्रायल की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने कहा कि महज़ शादी में शामिल होने और सैर-सपाटे के लिए विदेश यात्रा का कोई अधिकार आरोपी को नहीं है।
अतः याचिका खारिज कर दी गई।
“जब ट्रायल रक्षा साक्ष्य के चरण में पहुंच चुका है, तब आवेदक को अमेरिका जाकर अपने रिश्तेदार की शादी में शामिल होने और फ्रांस में पारिवारिक सैर-सपाटे का आनंद लेने का अधिकार नहीं है,” कोर्ट ने स्पष्ट किया।
उपस्थिति
आवेदक के वकील: पूर्णेंदु चक्रवर्ती, अम्बरीश सिंह यादव, अमित जायसवाल ओजस लॉ, प्रांजल जैन
विपक्षी पक्ष के वकील: अनुराग कुमार सिंह
केस का शीर्षक - आदित्य मूर्ति बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एलकेओ 2025 (एबी) 159