8 जुलाई 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ जिला न्यायालय परिसर में एक वकील के चैंबर को ‘विवाह केंद्र’ के रूप में चलाए जाने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। अदालत ने चैंबर नंबर 31 से दो अधिवक्ताओं—राघवेंद्र मिश्रा हिंदू और विपिन चौधरी—को तत्काल निष्कासित करने का आदेश दिया।
"यह न्यायालय ब्रह्मास्त्र लीगल एसोसिएट्स द्वारा ‘विवाह केंद्र’ चलाए जाने का न्यायिक संज्ञान लेता है... जो जिला न्यायालय परिसर में वकीलों के उपयोग के लिए हस्तांतरित किया गया था।" – इलाहाबाद हाईकोर्ट
यह मामला शिवानी यादव व अन्य बनाम राज्य उत्तर प्रदेश में सामने आया, जब एक याचिका में दंपति द्वारा सुरक्षा की मांग की गई थी, जिन्होंने कथित तौर पर परिवार की इच्छा के विरुद्ध विवाह किया था। लेकिन सुनवाई के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
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याची संख्या 1 शिवानी यादव की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने याची संख्या 2 अरुण कुमार यादव से विवाह नहीं किया और वह अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं। साथ ही, उन्होंने किसी भी वकील को वकालतनामा नहीं दिया और कोई संयुक्त हलफनामा भी दाखिल नहीं किया। इससे दस्तावेजों की वैधता पर सवाल खड़े हो गए।
याचिका के साथ संलग्न विवाह प्रमाण पत्र प्रगतिशील हिंदू समाज न्यास, आलमबाग द्वारा जारी किया गया था, जिसमें विवाह स्थल के रूप में ब्रह्मास्त्र लीगल एसोसिएट्स का उल्लेख था।
“चूंकि हलफनामा स्पष्ट रूप से झूठा है, हम अरुण कुमार यादव... के विरुद्ध धारा 340 और 195 के अंतर्गत परिशिष्ट कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देते हैं।” – अदालत का आदेश
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अदालत की विशेष पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति बृज राज सिंह शामिल थे, ने तत्काल निरीक्षण का आदेश देते हुए थाना प्रभारी वजीरगंज और जिला न्यायालय अधिकारियों की टीम को चैंबर का दौरा करने को कहा। निरीक्षण के दौरान मोबाइल नंबर, पुष्प सजावट, लोहे के दरवाजे और चैंबर पर वकीलों के नाम पाए गए।
राघवेंद्र मिश्रा ने स्वीकार किया कि वह उस चैंबर में विवाह संपन्न करा रहे थे और उनकी फोटो और वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई जाती थी। हालांकि, अदालत ने ‘अग्नि’ की अनुपस्थिति को देखते हुए विवाह की वैधता पर संदेह जताया, क्योंकि हिंदू विवाह में ‘सप्तपदी’ अनिवार्य है।
"यह अतिक्रमण प्रतीत होता है क्योंकि यह पुरानी सीएससी इमारत की मौजूदा संरचना को नुकसान पहुंचाने जैसा है।" – न्यायालय का अवलोकन
अदालत ने पूरे मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश को चैंबर नंबर 31 को तत्काल खाली कराने और पूरे प्रकरण को स्वत: संज्ञान जनहित याचिका के लिए नामित खंडपीठ को सौंपने का निर्देश दिया। साथ ही, याचिका को झूठे दावे के आधार पर खारिज कर दिया गया।
न्यायालय ने निम्नलिखित आदेश दिए:
- चैंबर की तत्काल खाली कराई जाए दोनों अधिवक्ताओं से
- ब्रह्मास्त्र लीगल एसोसिएट्स और प्रगतिशील हिंदू समाज न्यास नामक साइनबोर्ड को दो दिनों में सफेद पेंट से मिटाया जाए
- पुलिस की सहायता से जबरन निष्कासन सुनिश्चित किया जाए यदि आवश्यक हो
"हम लखनऊ के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को निर्देशित करते हैं कि वह चैंबर संख्या 31 को तत्काल खाली कराएं... और 'ब्रह्मास्त्र लीगल एसोसिएट्स' तथा 'प्रगतिशील हिंदू समाज न्यास' के नाम को सफेद पेंट से मिटवाएं।" – अंतिम आदेश
केस का शीर्षक - शिवानी यादव एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से प्रधान सचिव गृह लोक सेवा आयोग एवं अन्य