इलाहाबाद हाईकोर्ट, लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी, बाराबंकी को तात्कालिक पुलिस कार्रवाई से बचाते हुए अंतरिम संरक्षण दिया। यह संरक्षण उस एफआईआर से संबंधित है जिसमें विश्वविद्यालय पर बिना वैध स्वीकृति के लॉ कोर्स चलाने का आरोप लगाया गया था। जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस सैयद क़मर हसन रिज़वी की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जांच आगे बढ़ सकती है, लेकिन फिलहाल संस्था और उसकी रजिस्ट्रार के खिलाफ कोई जबरन कदम नहीं उठाया जाएगा।
पृष्ठभूमि
यह मामला 3 सितंबर 2025 को बाराबंकी के कोतवाली थाने में दर्ज एफआईआर से शुरू हुआ। शिकायत में कहा गया कि विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2023–24 और 2024–25 के दौरान बीसीआई (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) से मान्यता लिए बिना एलएलबी और एकीकृत लॉ कोर्स के लिए छात्रों को दाखिला दिया और परीक्षाएं भी आयोजित कीं। एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 318(4), 338, 336(3) और 340(2) लगाई गई।
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विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार, जो याचिकाकर्ता संख्या-2 हैं, ने आशंका जताई कि पुलिस उन्हें या अन्य कर्मचारियों को गिरफ्तार कर सकती है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अमित जायसवाल ने दलील दी कि यह संस्थान 2013 से एलएलबी और 2014 से बीए एलएलबी कोर्स चला रहा है। अगर स्वीकृति में कोई कमी थी, तो उसे शैक्षणिक नियमों के तहत निपटाया जाना चाहिए, न कि आपराधिक मुकदमे के जरिए।
न्यायालय की टिप्पणियाँ
सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय ने 3 सितंबर 2025 को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी एक पत्र प्रस्तुत किया। इसमें शैक्षणिक सत्र 2025–26 के लिए अस्थायी संबद्धता बढ़ाने और विवादित वर्षों 2023–24 व 2024–25 में हुए दाखिलों को नियमों के पालन की शर्त पर वैध ठहराने की बात कही गई थी।
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खंडपीठ ने इसका संज्ञान लेते हुए कहा कि 'मामले पर विचार की आवश्यकता है।' अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि जांच जारी रहनी चाहिए लेकिन छात्रों और विश्वविद्यालय के अधिकारियों के अधिकारों को अनावश्यक रूप से खतरे में नहीं डालना चाहिए।
साथ ही कोर्ट ने सावधानी भी जताई।
"यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि विश्वविद्यालय के अधिकारी जांच में सहयोग नहीं करेंगे तो आज दी गई अंतरिम सुरक्षा वापस ली जा सकती है," न्यायाधीशों ने चेतावनी दी।
अदालत ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह पूछताछ के लिए आवश्यक विश्वविद्यालय कर्मचारियों की सूची उपलब्ध कराए और एक निश्चित तारीख - 16 सितंबर 2025 - भी तय कर दी, जब उन्हें जांच अधिकारी के सामने पेश होना होगा।
निर्णय
आदेश पारित करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई, जो नवंबर में तय है, तक विश्वविद्यालय और उसकी रजिस्ट्रार के खिलाफ कोई जबरन कार्रवाई न की जाए, बशर्ते वे पूरी तरह जांच में सहयोग करें। अदालत ने यह भी दोहराया कि जांच 'कानून के अनुसार ही' पूरी की जानी चाहिए।
इस तरह खंडपीठ ने श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी को फिलहाल अस्थायी राहत दे दी है, जबकि उसके कदमों की वैधता पर अंतिम निर्णय आगे की सुनवाई में होगा।
केस का शीर्षक:- SRM विश्वविद्यालय, बाराबंकी अपने रजिस्ट्रार प्रोफेसर (डॉ.) नीरजा जिंदल और अन्य बनाम यूपी राज्य के माध्यम से। प्रमुख सचिव, गृह, लखनऊ एवं अन्य के माध्यम से
केस संख्या: आपराधिक विविध। 2025 की रिट याचिका संख्या 8631