केंद्र सरकार ने सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट में कड़ा विरोध किया है। तुर्की आधारित इस कंपनी ने नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) द्वारा उसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। कंपनी का कहना है कि यह फैसला बिना किसी कारण बताए और पूर्व सूचना के बिना लिया गया।
"कारण बताना राष्ट्रीय हित और संप्रभुता को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।"
— केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
भारत सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (SGI) तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की अदालत में कहा कि यह कदम "राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में" उठाया गया है। उन्होंने कहा कि इसके पीछे का कारण बताना देश की आंतरिक सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरनाक हो सकता है।
सेलेबी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सरकार के इस फैसले को चुनौती दी और कहा कि कंपनी को अपनी बात रखने का कोई मौका नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि रद्दीकरण आदेश में कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया।
"ऐसा लगता है कि यह निर्णय तुर्की शेयरधारिता को लेकर बनी सार्वजनिक धारणा से प्रभावित है।"
— मुकुल रोहतगी, वरिष्ठ अधिवक्ता सेलेबी की ओर से
न्यायालय द्वारा यह पूछे जाने पर कि सुरक्षा मंजूरी किस कानूनी प्रावधान के तहत दी जाती है, रोहतगी ने एयरक्राफ्ट सुरक्षा नियमों के नियम 12 का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को यह साबित करना होगा कि इतनी गंभीर आशंका थी कि नोटिस देना आवश्यक नहीं था।
अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में नोटिस देना उल्टा असर डाल सकता है और कंपनी ऐसा कुछ कर सकती है जो देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक हो।
SGI मेहता ने आगे बताया कि सेलेबी के कर्मचारी एयरपोर्ट के बेहद संवेदनशील क्षेत्रों में कार्यरत हैं और उन्हें हर कोने तक पहुंच है, जिसमें विमान भी शामिल है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास इस बात के इनपुट थे कि मौजूदा हालात में इस कार्य को इस कंपनी के हाथ में छोड़ना खतरनाक हो सकता है।
"इनपुट्स से संकेत मिला कि मौजूदा परिस्थितियों में इस कार्य को कंपनी के हवाले करना जोखिम भरा होगा।"
— SGI तुषार मेहता
सरकार ने अपने गोपनीय इनपुट कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपे। मेहता ने कहा कि जब सरकार को स्पष्ट या संभावित खतरे का अंदेशा हो, तो नियम 12 के बजाय क्लॉज 9 लागू होता है। उन्होंने कहा कि कुछ दुर्लभ परिस्थितियों में कारण बताना भी राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक हो सकता है।
जब रोहतगी ने प्रोपोर्शनैलिटी (सांम्य सिद्धांत) लागू करने की बात कही, तो मेहता ने जवाब दिया:
"राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में प्रोपोर्शनैलिटी सिद्धांत लागू नहीं होता।"
— SGI तुषार मेहता
न्यायमूर्ति दत्ता ने मौखिक रूप से कहा कि ऐसे मामलों में सिद्धांत यही होना चाहिए कि "सावधानी में ही भलाई है"।
मेहता ने अपने तर्क को इस वाक्य से समाप्त किया:
"दुश्मन को सफल होने के लिए एक बार की जरूरत होती है, लेकिन देश को हर बार सफल होना होता है।"
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, सेलेबी ने अपनी याचिका में कहा है कि सुरक्षा मंजूरी रद्द होने से 3,791 नौकरियों और निवेशकों के विश्वास पर असर पड़ेगा। कंपनी ने कहा कि यह फैसला बिना किसी पूर्व चेतावनी या स्पष्टीकरण के लिया गया।
कंपनी ने यह भी कहा कि केवल "राष्ट्रीय सुरक्षा" का सामान्य उल्लेख करना और कोई ठोस कारण न देना कानूनन उचित नहीं है।
"आदेश में केवल 'राष्ट्रीय सुरक्षा' का अस्पष्ट उल्लेख है, कोई ठोस कारण या तर्क नहीं दिया गया है।"
— सेलेबी की याचिका
सेलेबी ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही कुछ शेयरधारक तुर्की के नागरिक हैं, लेकिन कंपनी का नियंत्रण उन कंपनियों के पास है जिनका तुर्की से कोई संबंध नहीं है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी।