दिल्ली उच्च न्यायालय ने 30 जुलाई 2025 को रिहान खान @ दुलारे की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपी के खिलाफ खजूरी खास थाना में FIR संख्या 309/2022 दर्ज है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 306/498A/313/511 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मामले की पृष्ठभूमि
जस्टिस गिरीश कथपालिया ने इस मामले की सुनवाई की। यह केस गुलनाज़ @ जूली की आत्महत्या से जुड़ा है, जो आरोपी की पत्नी थीं। FIR मृतका की मां श्रीमती शहनाज़ बानो के बयान पर आधारित है।
Read also:- कर्नाटक हाईकोर्ट: मामूली अपराध में सजा नौकरी से वंचित करने का आधार नहीं
मामले से जुड़े प्रमुख तथ्य इस प्रकार हैं:
- विवाह: मृतका और आरोपी ने 25.04.2019 को मुस्लिम रीति-रिवाजों से विवाह किया था, जो परिवार की मर्जी के खिलाफ था।
- गोपनीयता और दबाव: आरोपी ने विवाह की बात अपने परिवार से छिपाई थी। करीब 8-9 महीने बाद जब परिवार को जानकारी मिली, तो आरोपी पर पत्नी को छोड़ने का दबाव बनाया गया क्योंकि परिवार उसे किसी और से विवाह कराना चाहता था।
- प्रताड़ना के आरोप: मृतका की मां ने अपने बयान में बताया कि उनकी बेटी को शारीरिक और मानसिक रूप से दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था।
- मौत और संदेह: 26.03.2022 को मृतका की मां को बेटी की मौत की सूचना मिली और वीडियो कॉल पर मृत शरीर भी दिखाया गया। मां को संदेह हुआ कि उनकी बेटी की हत्या आरोपी और उसके परिवारवालों ने की है।
“मैं गुलनाज़ उर्फ़ जूली अपने पूरे होश-ओ-हवास में आत्महत्या करने जा रही हूं। मेरी मौत का ज़िम्मेदार मेरा पति रिहान खान उर्फ़ दुलारे है। मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है... मेरा पति मुझे धोखा दे रहा है।”
मृतका द्वारा छोड़ा गया यह हस्तलिखित सुसाइड नोट आरोपी को सीधे तौर पर दोषी ठहराता है और मामले में एक मजबूत सबूत के रूप में प्रस्तुत किया गया।
- अभियोजन पक्ष ने चार्जशीट में कुल 20 गवाह सूचीबद्ध किए हैं, जिनमें से अब तक केवल 7 की गवाही हो चुकी है। आरोपी पिछले तीन साल चार महीने से हिरासत में है।
- हिरासत की अवधि के बावजूद, अदालत ने स्पष्ट किया: “अपराध की गंभीरता को जमानत पर निर्णय लेते समय नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता… विशेष रूप से तब जब अभियोजन के समर्थन में रिकॉर्ड पर पर्याप्त सामग्री मौजूद हो।”
- मृतका के माता-पिता ने अदालत में अभियोजन का दृढ़ता से समर्थन किया।
- आत्महत्या नोट, जिसमें मृतका ने अपने पति को जिम्मेदार ठहराया है, ने अदालत के निर्णय को प्रभावित किया।
Read Also:-सेवा में कमी के कारण मिला अतिरिक्त पेंशन वापस करना होगा: मद्रास हाईकोर्ट
सभी तथ्यों, आरोपों की गंभीरता, साक्ष्यों और गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला:
“मैं इसे जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं मानता। जमानत याचिका खारिज की जाती है।”
केस का शीर्षक: रिहान खान @ दुलारे बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली राज्य
केस संख्या: ज़मानत आवेदन संख्या 2165/2025
आदेश की तिथि: 30 जुलाई 2025