सोमवार को कर्नाटक हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में माहौल कुछ अलग ही था। न कोई तीखी बहस, न ही जोरदार आरोप। मामला था एक डॉक्टर द्वारा किसी अजनबी को बिना किसी स्वार्थ के अपनी एक किडनी दान करने की अनुमति का। न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह साफ किया कि मानवीय भावना से किए जा रहे ऐसे निर्णयों में केवल शंकाओं के आधार पर देरी नहीं होनी चाहिए।
पृष्ठभूमि
यह मामला एक महिला डॉक्टर द्वारा दायर रिट याचिका से जुड़ा है, जिन्होंने मणिपाल अस्पताल की हॉस्पिटल बेस्ड ऑथराइजेशन कमेटी (HBAC) के समक्ष परोपकारी किडनी दान का अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता ने साफ कहा कि उनका कोई तय प्राप्तकर्ता नहीं है और अस्पताल जिस भी जरूरतमंद मरीज को उपयुक्त समझे, उसे किडनी दी जा सकती है, बशर्ते सभी चिकित्सकीय जांच में अनुकूलता पाई जाए।
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याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री श्रीपाद वेंकट जोगा राव ने अदालत को बताया कि उनकी मुवक्किल पूरी तरह से जोखिमों से अवगत हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि अस्पताल की ओर से देरी शायद इस आशंका के कारण हुई कि दाता और प्राप्तकर्ता के बीच कोई छुपा हुआ लेन-देन हो सकता है, जबकि याचिकाकर्ता ने ऐसे किसी भी आरोप से साफ इनकार किया।
अदालत की टिप्पणियां
न्यायमूर्ति गोविंदराज ने टिप्पणी की कि इस तरह के मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं। पीठ ने कहा, “यह उन दुर्लभ मामलों में से एक है जहां कोई व्यक्ति बिना किसी मुआवजे की अपेक्षा किए परोपकारी दाता के रूप में किडनी दान के लिए आगे आया है।”
सुनवाई के दौरान मणिपाल अस्पताल की ओर से एक मेमो दाखिल किया गया, जिसमें बताया गया कि पांच ऐसे असंबंधित मरीजों की पहचान की गई है जिनके साथ प्रारंभिक स्तर पर किडनी मिलान संभव है। हालांकि, अस्पताल ने यह भी कहा कि अंतिम निर्णय के लिए कुछ और मेडिकल जांच जरूरी हैं, जिनमें तीन से चार सप्ताह का समय लग सकता है।
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अदालत ने याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत मजबूरी पर भी ध्यान दिया। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में डायबिटीज का इतिहास है, जिससे भविष्य में उनकी किडनी प्रभावित हो सकती है और तब दान संभव नहीं रहेगा। वह स्वयं डॉक्टर हैं, उम्र की दृष्टि से भी सक्षम हैं और पूरे मामले की गंभीरता को समझती हैं। न्यायाधीश ने कहा कि जब कोई व्यक्ति “अपनी स्वतंत्र इच्छा और पूर्ण जानकारी के साथ” आगे आता है, तो उसके अनुरोध को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
निर्णय
हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए मणिपाल अस्पताल को निर्देश दिया कि संभावित प्राप्तकर्ताओं की सभी आवश्यक चिकित्सकीय जांच शीघ्र पूरी की जाए और सबसे उपयुक्त प्राप्तकर्ता की पहचान की जाए। जांच रिपोर्ट HBAC के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी, जिसे रिपोर्ट मिलने के एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि इसके बाद की सभी प्रक्रियाएं मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम तथा संबंधित नियमों के अनुसार पूरी की जाएं।
Case Title: [Petitioner] vs Chairperson, Hospital Based Authorization Committee & Anr.
Case No.: Writ Petition No. 29161 of 2025 (GM-RES)
Case Type: Writ Petition (Constitutional – Articles 226 & 227)
Decision Date: 25 November 2025










