केरल हाईकोर्ट ने केरल में सिनेमा टिकटों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उचित व्यवस्था की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह याचिका मनु नायर जी द्वारा दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में राज्य में टिकट मूल्य निर्धारण प्रणाली पारदर्शिता से रहित है और इसे डायनामिक प्राइसिंग जैसे एल्गोरिदम द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि ये तरीके शोषणकारी हैं और इन पर कोई सार्वजनिक जवाबदेही नहीं है, इसलिए इसे तुरंत नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
यह मामला मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति बसंत बालाजी की पीठ के समक्ष मंगलवार, 10 जून को पेश हुआ। अदालत ने राज्य सरकार से इस पर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का हवाला देते हुए कहा:
"जीवन का अधिकार केवल जीवित रहने तक सीमित नहीं है, बल्कि गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार भी है, जिसमें अवकाश और सांस्कृतिक गतिविधियों तक पहुंच शामिल है।"
याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह राज्य को निर्देश दे कि अधिकतम सिनेमा टिकट कीमत तय करे और एक उचित, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणाली बनाए।
याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे पड़ोसी राज्यों ने पहले ही अधिकतम अनुमेय टिकट दरों को नियंत्रित करने के लिए सरकारी आदेश जारी कर दिए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में कई मामलों में सामान्य टिकटों की कीमत ₹1200 तक पहुंच गई, जबकि रिक्लाइनर सीटों के लिए यह ₹1400 तक भी गई है।
"नियामक व्यवस्था की अनुपस्थिति से अनुचित मूल्य निर्धारण की संभावना बढ़ जाती है, जिससे आम जनता की सांस्कृतिक और मनोरंजन तक पहुंच प्रभावित होती है," याचिकाकर्ता ने कहा।
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई को तय की है।
यह याचिका मनु नायर जी ने स्वयं दायर की है।
मामले का शीर्षक: मनु नायर जी बनाम राज्य केरल एवं अन्य
मामला संख्या: WP(PIL) 52/2025