भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस हालिया फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें मदुरै-तूतीकोरिन राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल वसूली पर रोक लगाई गई थी।
हाईकोर्ट का आदेश 3 जून को जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि जिन सड़कों का रखरखाव ठीक से नहीं किया गया है, उन पर टोल नहीं वसूला जा सकता। कोर्ट के अनुसार, NHAI का कानूनी दायित्व है कि वह जनता से टोल शुल्क वसूलने से पहले राजमार्गों को अच्छी स्थिति में बनाए रखे।
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कोर्ट ने कहा, "भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का दायित्व है कि वह राजमार्गों का उचित रखरखाव करे और उसके बाद सड़क उपयोगकर्ताओं से टोल शुल्क वसूले। इसके बजाय, वे राजमार्ग की खराब स्थिति को बनाए रख रहे हैं।"
न्यायमूर्ति एस.एम. सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति ए.डी. मारिया क्लेटे की खंडपीठ ने मदुरै-तूतीकोरिन मार्ग की खराब स्थिति को देखते हुए यह आदेश पारित किया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक सड़क का रखरखाव भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम के मानकों के अनुसार नहीं किया जाता, तब तक टोल वसूली "अनुचित" है।
इसके जवाब में, NHAI ने उच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की है। इस मामले को 6 जून (शुक्रवार) को न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष तत्काल प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने मामले को 9 जून (सोमवार) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।
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अब इस याचिका पर न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ सुनवाई करेगी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा, "सड़क उपयोगकर्ता अच्छी स्थिति वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के हकदार हैं और तभी उन्हें टोल शुल्क का भुगतान करना होगा।"
यह कानूनी लड़ाई खराब बुनियादी ढांचे और टोल संग्रह के संबंध में जवाबदेही को लेकर सड़क उपयोगकर्ताओं की बढ़ती चिंताओं को उजागर करती है। सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई का परिणाम अब इस बात पर एक मिसाल कायम करने में महत्वपूर्ण होगा कि क्या उन सड़कों के लिए टोल वसूला जा सकता है जो आवश्यक रखरखाव मानकों को पूरा नहीं करती हैं।
मामला : महाप्रबंधक (टी) राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भारत बनाम वी. बालकृष्णन | एसएलपी (सी) संख्या 16474/2025