2016 से गोवा में Long-term Visa पर रह रहे एक पाकिस्तानी नागरिक ने केंद्र सरकार द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी वीजा निरस्त करने की अधिसूचना के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इस मामले का उल्लेख सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष किया गया, जिसमें न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे।
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संक्षिप्त सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई हाल की अधिसूचना का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि 27 अप्रैल, 2024 से पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए सभी वीजा निरस्त कर दिए गए हैं।
वकील की दलील का जवाब देते हुए न्यायमूर्ति संजय करोल ने टिप्पणी की, "तो वापस जाओ।"
याचिकाकर्ता के वकील ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता पाकिस्तान लौटने के लिए अनिच्छुक नहीं है, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि दीर्घकालिक वीजा धारकों के मामले में एक विशिष्ट शर्त लागू होती है, और याचिकाकर्ता का जन्म भारत में हुआ है।
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पीठ ने यह भी पूछा कि याचिकाकर्ता ने पहले गोवा उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। जवाब में, वकील ने प्रस्तुत किया कि पुलिस अधिकारी याचिकाकर्ता से मिलने आते रहे हैं, जिसके कारण सर्वोच्च न्यायालय से राहत मांगने की तत्काल आवश्यकता हुई।
प्रस्तुतियों पर ध्यान देते हुए, सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने मामले को उचित सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।
केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार:
"Medical Visa, Long Term Visa, Diplomatic और Official Visa को छोड़कर, पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी मौजूदा वैध वीजा 27 अप्रैल से तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं। मेडिकल वीजा केवल 29 अप्रैल तक वैध रहेंगे।"
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मामला अब सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आगे की कार्यवाही का इंतजार कर रहा है।