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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आर्म्स एक्ट मामले में प्रदीप राठौर को जमानत दी

Abhijeet Singh

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आर्म्स एक्ट के एक मामले में प्रदीप राठौर को जमानत दी। कोर्ट के फैसले, दलीलों और जमानत की शर्तों के बारे में जानें।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आर्म्स एक्ट मामले में प्रदीप राठौर को जमानत दी
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, ग्वालियर ने हाल ही में आर्म्स एक्ट के एक मामले में प्रदीप राठौर को जमानत दे दी। यह आदेश माननीय न्यायमूर्ति मिलिंद रमेश फड़के द्वारा 8 अगस्त, 2025 को मिस्क्रिमिनल केस नंबर 25851/2025 में पारित किया गया।

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मामले की पृष्ठभूमि

प्रदीप राठौर को 25 मई, 2025 को ग्वालियर के हजीरा पुलिस स्टेशन में दर्ज अपराध संख्या 201/2025 के तहत गिरफ्तार किया गया था। यह मामला आर्म्स एक्ट की धारा 25/27 के तहत दर्ज किया गया था, जिसमें एक पिस्तौल और दो जीवित कारतूसों के अवैध कब्जे का आरोप लगाया गया था। राठौर ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 439 (अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 483 के तहत संदर्भित) के तहत अपनी पहली जमानत याचिका दायर की।

पक्षों की दलीलें

आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि राठौर को इस मामले में झूठे फंसाया गया है। उन्होंने दावा किया कि पिस्तौल और कारतूस उनके कब्जे से बरामद नहीं हुए थे और इस बात पर जोर दिया कि यह अपराध प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट (JMFC) द्वारा विचारणीय है। वकील ने यह भी बताया कि मुकदमे में काफी समय लगेगा, इसलिए जमानत देना उचित होगा।

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वहीं, लोक अभियोजक ने जमानत का विरोध किया और बताया कि राठौर एक आदतन अपराधी है जिसके खिलाफ 47 आपराधिक मामले दर्ज हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि हाल के दिनों में उसने इसी तरह का कोई अपराध नहीं किया है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और केस डायरी की समीक्षा करने के बाद, कोर्ट ने जमानत देने का फैसला किया। न्यायमूर्ति फड़के ने आरोपों की प्रकृति और मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यायिक विवेक का प्रयोग किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश मामले की सत्यता पर कोई राय नहीं देता।

जमानत की शर्तें

कोर्ट ने राठौर की रिहाई के लिए निम्नलिखित शर्तें रखीं:

  • 50,000 रुपये का व्यक्तिगत बॉन्ड और समान राशि का एक सॉल्वेंट जमानतदार पेश करना।
  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 480(3) में निर्धारित शर्तों का पालन करना।
  • मुकदमा समाप्त होने तक संबंधित पुलिस स्टेशन में साप्ताहिक उपस्थिति दर्ज कराना।

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कोर्ट ने इस आदेश की एक प्रति अनुपालन के लिए ट्रायल कोर्ट को भेजने का निर्देश दिया।

महत्वपूर्ण बिंदु

यह मामला जमानत संबंधी मामलों में न्यायपालिका के संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें अपराध की प्रकृति, आरोपी का आपराधिक इतिहास और मुकदमे में देरी की संभावना जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाता है। कोर्ट का यह फैसला "जेल नहीं, जमानत" के सिद्धांत को रेखांकित करता है, खासकर तब जब आरोपी हाल में कोई समान अपराध नहीं करता है।

"आवेदक को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 480(3) में निर्धारित शर्तों का पालन करना होगा।" - कोर्ट आदेश

यह निर्णय आरोपी व्यक्तियों को उपलब्ध कानूनी सुरक्षा उपायों की याद दिलाता है, साथ ही सख्त जमानत शर्तों के माध्यम से जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

मामले का शीर्षक: प्रदीप राठौर बनाम मध्य प्रदेश राज्य

मामला संख्या: मिस्क. आपराधिक मामला संख्या 25851 सन 2025

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