पटना उच्च न्यायालय ने हाल ही में बाढ़ थाना केस नंबर 699/2022 में सनी ठठेरा उर्फ सनी कुमार को जमानत दे दी। इस मामले में हत्या, हमला और आर्म्स एक्ट के उल्लंघन जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। यह आदेश माननीय न्यायाधीश राजेश कुमार वर्मा द्वारा 8 अगस्त, 2025 को पारित किया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
सनी ठठेरा 3 नवंबर, 2022 से न्यायिक हिरासत में हैं। यह मामला 27 अक्टूबर, 2022 को दर्ज एफआईआर पर आधारित है, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 341 (गलत तरीके से रोकना), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 329 (जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना), 307 (हत्या का प्रयास), 504 (जानबूझकर अपमान करना) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत आरोप लगाए गए थे। बाद में, आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और आर्म्स एक्ट की धारा 27 को भी इसमें जोड़ा गया।
पिछली बार, आवेदक ने Cr. मिस्क. नंबर 44004/2023 में जमानत की गुहार लगाई थी, जिसे 28 अगस्त, 2023 को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद, Cr .मिस्क. नंबर 29402/2024 में दायर आवेदन को 28 जून, 2024 को खारिज कर दिया गया था, साथ ही यह निर्देश दिया गया था कि ट्रायल को छह महीने के भीतर पूरा किया जाए।
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मुकदमे की प्रगति और जमानत की दलीलें
न्यायालय के निर्देश के बावजूद, मुकदमा निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा नहीं हो सका। 17 जुलाई, 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, आठ चार्जशीट गवाहों में से केवल छह की जिरह हो पाई थी। शेष दो गवाहों की जिरह अभी बाकी थी, जिससे स्पष्ट था कि मुकदमा जल्द खत्म होने वाला नहीं है।
आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि सनी ठठेरा का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह पहले ही दो साल से अधिक समय से हिरासत में हैं। ट्रायल में देरी को देखते हुए, उन्होंने लंबी हिरासत के सिद्धांत के तहत राहत की मांग की।
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राज्य का विरोध और न्यायालय का निर्णय
राज्य ने जमानत याचिका का जोरदार विरोध किया। हालांकि, आवेदक का साफ आपराधिक रिकॉर्ड, लंबी हिरासत अवधि और मुकदमे में देरी को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने जमानत दे दी।
"उक्त नामांकित आवेदक को 10,000/- (दस हजार रुपये) के जमानत बांड और दो समान राशि के जमानतदारों पर रिहा किया जाए..."
- माननीय न्यायाधीश राजेश कुमार वर्मा
जमानत की शर्तें
- मुकदमे में सहयोग: आवेदक को सभी सुनवाइयों में उपस्थित होना होगा और न्यायालय के निर्देशानुसार शारीरिक रूप से मौजूद रहना होगा। बिना वैध कारण के लगातार दो तारीखों पर अनुपस्थित रहने पर जमानत रद्द कर दी जाएगी।
- सबूतों से छेड़छाड़ न करना: यदि आवेदक को गवाहों को प्रभावित करते या सबूतों से छेड़छाड़ करते पाया जाता है, तो अभियोजन जमानत रद्द करने के लिए आवेदन कर सकता है।
- आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच: ट्रायल कोर्ट को आवेदक के आपराधिक इतिहास की जांच करनी होगी। यदि कोई छिपाव पाया जाता है, तो जमानत बांड रद्द कर दिया जाएगा।
मामले का शीर्षक: सनी ठठेरा @ सनी कुमार बनाम बिहार राज्य
मामला संख्या: आपराधिक विविध संख्या 35901 सन् 2025