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पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: NIOS को 6 हफ्ते में छात्रा की मार्कशीट सुधारने का आदेश

Shivam Y.

खुशबू कुमारी बनाम भारत संघ और अन्य - पटना उच्च न्यायालय ने एनआईओएस को विषय कोड त्रुटि के बाद एक छात्रा की मार्कशीट को सुधारने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि प्राधिकरण की गलती के कारण करियर प्रभावित नहीं होना चाहिए।

पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: NIOS को 6 हफ्ते में छात्रा की मार्कशीट सुधारने का आदेश
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पटना हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश देते हुए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) को निर्देश दिया है कि वह एक छात्रा की मार्कशीट में हुई गलती को सुधारकर संशोधित परिणाम जारी करे। अदालत ने साफ कहा कि प्रशासनिक या तकनीकी त्रुटि का खामियाज़ा छात्र को नहीं भुगतना चाहिए। यह आदेश 24 दिसंबर 2025 को सुनाया गया।

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मामले की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता खुशबू कुमारी ने डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (2017-2019) कोर्स के तहत परीक्षा दी थी और जनवरी 2020 में सभी विषयों में शामिल हुई थीं। परिणाम जारी होने पर उनके मार्कशीट में विषय कोड 510 (लर्निंग साइंस एट अपर प्राइमरी लेवल) में उन्हें ‘अनुपस्थित’ दिखा दिया गया।

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बाद में अध्ययन केंद्र ने माना कि उसके प्रैक्टिकल अंक गलती से विषय कोड 509 में चढ़ा दिए गए, जिससे रिकॉर्ड में त्रुटि हो गई। कई पत्राचार के बावजूद सुधार नहीं होने पर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।

अदालत में पक्षों की दलीलें

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि त्रुटि छात्रा की नहीं बल्कि संस्था की है, इसलिए यह अन्यायपूर्ण है कि इसका असर उसके करियर पर पड़े।

वकील ने कहा, “प्रशासनिक चूक का दंड छात्र को नहीं दिया जा सकता। यह गलती केंद्र की है, छात्रा की नहीं।”

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दूसरी ओर NIOS की ओर से कहा गया कि सभी गतिविधियाँ 31 मार्च 2019 तक पूरी कर ली गई थीं और समय-सीमा के बाद सुधार संभव नहीं है। संस्था ने यह भी तर्क दिया कि परिणाम जारी होने से पहले आधिकारिक रूप से कोई आवेदन नहीं मिला।

अदालत की टिप्पणी

माननीय न्यायमूर्ति हरीश कुमार ने स्पष्ट कहा कि रिकॉर्ड से यह साबित होता है कि त्रुटि अध्ययन केंद्र की थी और छात्रा ने परीक्षा दी थी। केंद्र के समन्वयक ने भी गलती स्वीकार कर सुधार का निवेदन भेजा था।

अदालत ने कहा, “कोई भी व्यक्ति दूसरों की चूक का शिकार नहीं बन सकता। जब छात्रा का भविष्य दांव पर हो, तब सुधार अनिवार्य है।”

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अदालत ने NIOS द्वारा दिए गए पुराने निर्णयों का हवाला खारिज करते हुए कहा कि यह मामला सिर्फ रिकॉर्ड सुधार से जुड़ा है, न कि शिक्षक पद के लिए पात्रता से।

अंतिम आदेश

हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि:

  • मार्कशीट व प्रमाणपत्र में त्रुटि की जाँच के बाद सही विवरण दर्ज किया जाए
  • सुधार की प्रक्रिया छह सप्ताह के भीतर पूरी की जाए
  • देरी होने पर इसे अदालती आदेश की अवमानना माना जाएगा

मामला आदेश के साथ निपटा दिया गया।

Case Title: Khushbu Kumari vs. The Union of India & Others

Case Number: Civil Writ Jurisdiction No. 2286 of 2023

Date of Judgment: 24 December 2025

Petitioner’s Advocate: Mr. Arun Kumar

Respondents’ Advocates:

  • Mr. Ram Tujabh Singh, CGC
  • Mr. Radhika Raman Singh, Sr. CGC
  • Mr. Bimal Kumar (for Respondent No. 5)

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