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कलकत्ता हाईकोर्ट ने क्रिप्टो फ्रॉड FIR रद्द करने से किया इनकार, कहा ₹85 करोड़ के आरोप आपराधिक मंशा दर्शाते हैं, केवल कारोबारी विवाद नहीं

Vivek G.

आज़ा एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और अन्य बनाम अंडमान और निकोबार द्वीप समूह केंद्र शासित प्रदेश और अन्य, कलकत्ता हाई कोर्ट ने आज़ा एंटरप्राइजेज के खिलाफ क्रिप्टो फ्रॉड FIR रद्द करने से इनकार कर दिया, कहा कि ₹85 करोड़ के आरोप आपराधिक इरादा दिखाते हैं, और साइबरक्राइम जांच जारी रखने की अनुमति दी।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने क्रिप्टो फ्रॉड FIR रद्द करने से किया इनकार, कहा ₹85 करोड़ के आरोप आपराधिक मंशा दर्शाते हैं, केवल कारोबारी विवाद नहीं
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पोर्ट ब्लेयर सर्किट बेंच में हुई वर्चुअल सुनवाई के दौरान, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को साफ कर दिया कि बड़े पैमाने पर क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी के आरोपों को सिर्फ कारोबारी नाकामी बताकर खारिज नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति शम्पा दत्त (पाल) ने अजा एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और अन्य आरोपियों से जुड़ी एक साइबर अपराध जांच में दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसमें करोड़ों डॉलर की हेराफेरी के आरोप लगाए गए हैं।

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यह मामला उन पुनरीक्षण याचिकाओं का था, जिनमें एक विदेशी क्रिप्टो निवेश कंपनी को लगभग 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर - यानी करीब ₹85 करोड़ - के नुकसान का दावा किया गया है।

पृष्ठभूमि

दक्षिण अंडमान के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR, DCI कैपिटल (जिसे डच कंसल्टेंट्स इनोवेशन भी बताया गया) की ओर से दायर शिकायत पर आधारित है। शिकायत में आरोप लगाया गया कि कंपनी को एक्सक्लूसिव क्रिप्टो प्रोजेक्ट्स और पक्के रिटर्न का झांसा देकर निवेश के लिए उकसाया गया।

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शिकायत के अनुसार, शुरुआत में भरोसा जमाने के लिए छोटे-छोटे लेनदेन पूरे किए गए। बाद में, बड़ी रकम प्राइवेट टेलीग्राम ग्रुप्स, दुबई में हुई बैठकों और ऐसे बिचौलियों के जरिए भेजी गई, जिन्होंने खुद को बड़े क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स से जुड़ा बताया। कुछ समय बाद टोकन की डिलीवरी रुक गई, जवाब टालमटोल भरे होने लगे और पैसा वापस नहीं आया।

अजा एंटरप्राइजेज और उसके निदेशकों ने इन आरोपों का कड़ा विरोध किया। उनके वकील ने दलील दी कि न तो कोई लिखित अनुबंध था, न ही भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई स्पष्ट नियामक ढांचा है, और यह विवाद मूल रूप से एक कारोबारी लेनदेन से जुड़ा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि एक ही तथ्यों पर धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के आरोप साथ-साथ नहीं चल सकते।

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कोर्ट की टिप्पणियां

न्यायमूर्ति दत्त ने शिकायत, FIR और केस डायरी का बारीकी से अवलोकन किया। अदालत ने कहा कि यह मामला किसी साधारण निवेश विफलता जैसा नहीं दिखता। रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से यह संकेत मिलता है कि आरोपियों ने निवेशकों को फंसाने के लिए “शुरुआती वैधता का एक मुखौटा” तैयार किया।

पीठ ने टिप्पणी की, “रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री से यह prima facie प्रतीत होता है कि आरोपियों की मंशा शुरुआत से ही धोखाधड़ी की थी।”

धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के एक साथ आरोपों पर उठे सवाल पर अदालत ने स्पष्ट किया कि जांच के इस शुरुआती चरण में उस सिद्धांत को यांत्रिक तरीके से लागू नहीं किया जा सकता, खासकर जब मामला कई लेनदेन और विभिन्न घटनाओं से जुड़ा हो। न्यायालय ने इसे “तथ्यों का मिश्रित मामला” बताते हुए कहा कि इस स्तर पर जांच को रोकना उचित नहीं होगा।

अदालत ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि FIR एक सिविल विवाद को आपराधिक रंग देने की कोशिश है। कथित नुकसान की बड़ी राशि और डिजिटल सबूतों को देखते हुए पीठ ने कहा कि इसमें “आपराधिक तत्व प्रबल रूप से मौजूद” हैं।

न्यायालय ने चेताया कि इस चरण पर हस्तक्षेप करना “कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग” होगा।

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निर्णय

हाईकोर्ट ने FIR और आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली तीनों पुनरीक्षण याचिकाएं खारिज कर दीं। हालांकि, आरोपियों को 10 जनवरी 2026 तक किसी भी प्रकार की दमनात्मक कार्रवाई से अंतरिम राहत दी गई। अदालत ने पासपोर्ट जांच एजेंसी को सौंपने और ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना देश छोड़ने पर रोक लगाने के निर्देश भी दिए। पीठ ने स्पष्ट किया कि जांच एजेंसी कानून के अनुसार स्वतंत्र रूप से जांच जारी रखेगी।

Case Title: Aza Enterprises Private Ltd. & Others vs Union Territory of Andaman and Nicobar Islands & Others

Case No.: CRR/33/2025 (along with CRR/34/2025 and CRR/45/2025)

Case Type: Criminal Revision (Quashing of FIR)

Decision Date: 22 December 2025

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