17 अप्रैल को, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में कक्षा 9 से 12 तक के उन सहायक शिक्षकों को, जिनकी नियुक्तियाँ 2016 की भर्ती घोटाले के चलते रद्द की गई थीं, यदि वे दोषमुक्त पाए गए हैं, तो उन्हें अपनी सेवा जारी रखने की अनुमति दी है। यह राहत तब तक दी गई है जब तक कि नई नियुक्तियाँ नहीं हो जातीं।
"छात्रों का नुकसान नहीं होना चाहिए," कोर्ट ने यह कहते हुए यह निर्णय लिया।
हालांकि, कोर्ट ने ग्रुप C और ग्रुप D कर्मचारियों को यह राहत देने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि इन वर्गों में दोषी उम्मीदवारों की संख्या काफी अधिक है।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह अनुमति कुछ शर्तों पर आधारित है। पश्चिम बंगाल सरकार और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) को सहायक शिक्षक पदों के लिए नई भर्ती प्रक्रिया 31 दिसंबर 2025 तक पूरी करनी होगी।
मुख्य न्यायाधीश संजिव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने राज्य और WBSSC को 31 मई 2025 तक नई भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने का निर्देश दिया।
"यदि 31 मई 2025 तक विज्ञापन प्रकाशित नहीं हुआ, तो यह आदेश, जिसमें दोषमुक्त शिक्षकों को सेवा में बने रहने की अनुमति दी गई है, रद्द हो जाएगा," कोर्ट ने चेतावनी दी।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पूरी भर्ती प्रक्रिया, जिसमें परीक्षा और चयन शामिल है, 31 दिसंबर 2025 तक पूरी की जानी चाहिए।
साथ ही, राज्य और आयोग को 31 मई 2025 तक एक हलफनामा दाखिल करना होगा, जिसमें यह बताया जाए कि विज्ञापन प्रकाशित किया जा चुका है। यदि ऐसा नहीं होता है तो दी गई राहत रद्द हो जाएगी।
पृष्ठभूमि: 2016 का WBSSC घोटाला
यह निर्णय राज्य बनाम बैशाखी भट्टाचार्य मामले में एक अतिरिक्त आवेदन (Miscellaneous Application) के तहत दिया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही 2016 की SSC नियुक्तियों को व्यापक धोखाधड़ी के कारण रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा था।
आवेदन में अनुरोध किया गया था कि जिन उम्मीदवारों को दोषमुक्त पाया गया है, उन्हें या तो शैक्षणिक वर्ष के अंत तक या जब तक नई नियुक्तियाँ पूरी नहीं हो जातीं, तब तक सेवा में बने रहने की अनुमति दी जाए—जो भी पहले हो।
"जिन नियुक्तियों को दोषमुक्त पाया गया है, उन्हें सेवा में बने रहने की अनुमति दी जाए... जब तक नई नियुक्तियों की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती," ऐसा आवेदन में कहा गया।
सुप्रीम कोर्ट का पूर्व फैसला (3 अप्रैल को)
इससे पहले, 3 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस निर्णय को मंजूरी दी थी, जिसमें WBSSC द्वारा 2016 में की गई लगभग 25,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण स्टाफ की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था।
"चयन प्रक्रिया धोखाधड़ी से दूषित थी और मरम्मत के परे थी," कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा।
इन नियुक्तियों को एकमुश्त रद्द कर दिया गया, और सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पूरी भर्ती प्रक्रिया अमान्य थी क्योंकि इसमें गंभीर अनियमितताएं और हेराफेरी हुई थी।
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और राकेश द्विवेदी ने राज्य सरकार की ओर से पेश हुए, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की ओर से पक्ष रखा।
मामले का नाम: राज्य बनाम बैशाखी भट्टाचार्य (चटर्जी)
मामला संख्या: SLP(C) No. 009586 / 2024 और संबंधित मामले