25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने NEET-UG 2025 के उन छात्रों की दो याचिकाएं खारिज कर दीं जिन्होंने परीक्षा के दौरान मध्य प्रदेश के कुछ केंद्रों पर बिजली जाने के कारण पुनः परीक्षा (री-टेस्ट) की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के उस निर्णय को बरकरार रखा जिसमें री-टेस्ट की मांग को खारिज कर दिया गया था। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले की सभी पहलुओं से जांच की है, जिसमें एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट भी शामिल है।
“हाईकोर्ट के निष्कर्ष सही हैं। पुनः परीक्षा का आदेश देना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यह फैसला लेना NTA का काम है,”– जस्टिस पीएस नरसिम्हा
याचिकाओं की पृष्ठभूमि
यह याचिकाएं उन उम्मीदवारों ने दायर की थीं जिन्हें इंदौर और उज्जैन के परीक्षा केंद्रों पर बिजली कटौती के कारण परेशानी हुई थी। पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एकल पीठ ने छात्रों को राहत देते हुए री-टेस्ट का आदेश दिया था और यह भी कहा था कि काउंसलिंग प्रक्रिया री-टेस्ट के अधीन रहेगी।
“चूंकि याचिकाकर्ताओं की कोई गलती नहीं थी और उन्हें नुकसान हुआ, इसलिए री-टेस्ट जरूरी है,”– एकल पीठ, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
बाद में डिवीजन बेंच ने इस आदेश को निरस्त कर दिया। उसने एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि भले ही कुछ केंद्रों पर बिजली चली गई थी, लेकिन प्राकृतिक रोशनी पर्याप्त थी जिससे छात्र परीक्षा दे सके। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि 27,264 में से केवल 70 छात्रों ने ही याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया और काउंसलिंग प्रक्रिया रोकने से मना कर दिया। हालांकि, पीठ ने यह निर्देश दिया कि जो छात्र योग्य हैं, उन्हें काउंसलिंग के लिए पंजीकरण करने और भाग लेने की अनुमति दी जाए।
“योग्य उम्मीदवारों को पंजीकरण और काउंसलिंग में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए,”– सुप्रीम कोर्ट पीठ
इसी मुद्दे पर आधारित एक अन्य याचिका, जो चेन्नई में हुए NEET-UG परीक्षा को लेकर थी, उसे भी खारिज कर दिया गया।
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केस विवरण: नव्या नायक बनाम राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी | एसएलपी (सी) संख्या 19807/2025 और एस. साई प्रिया एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य | एसएलपी (सी) संख्या 19661/2025