दिल्ली हाईकोर्ट ने 25 जुलाई 2025 को अपने एक अहम आदेश में एक अंतरधार्मिक जोड़े को राहत प्रदान करते हुए दिल्ली पुलिस को उनके लिए तत्काल सुरक्षा और सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता मोहम्मद शाहनूर मंसूरी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 528 और संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अदालत का रुख किया था। उन्होंने अपने और अपनी साथी, सुश्री 'एक्स' के लिए पुलिस सुरक्षा और सुरक्षित घर की मांग की थी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता मुस्लिम धर्म का है और वह हिंदू धर्म की सुश्री 'एक्स' से विवाह करना चाहता है। अंतरधार्मिक संबंधों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, याचिकाकर्ता राज्य से सुरक्षा और सुरक्षित आवास की मांग कर रहा है।”
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याचिका के अनुसार, यह जोड़ा 2018 से एक-दूसरे के साथ सहमति से रिश्ते में है और विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत विवाह करना चाहता है। परिवारों की संभावित आपत्ति और खतरों से डरते हुए उन्होंने 23 जुलाई 2025 को दक्षिण-पूर्व जिला के डीसीपी से संपर्क कर दिल्ली पुलिस की SOP के तहत सुरक्षा और सुरक्षित घर की मांग की थी, जो अंतरधार्मिक या अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों के लिए तैयार की गई है।
हालांकि, याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि सुरक्षा देने की बजाय सुश्री 'एक्स' को उनसे जबरन अलग कर दिया गया। 24 जुलाई 2025 को उनका मेडिकल परीक्षण कराया गया और उन्हें निरमल छाया शेल्टर होम में रखा गया। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उन्हें मोबाइल फोन तक पहुंच नहीं दी गई और याचिकाकर्ता से मिलने की अनुमति भी नहीं दी गई, जबकि उन्होंने बार-बार उसके साथ रहने की इच्छा जाहिर की थी।
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा, “ऐसा व्यवहार प्रथम दृष्टया दोनों याचिकाकर्ता और सुश्री 'एक्स' के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन प्रतीत होता है, खासकर अनुच्छेद 21 के तहत दी गई स्वतंत्रता, गरिमा और विवाह संबंधी स्वायत्त निर्णय लेने के अधिकार का।”
गंभीर आरोपों को देखते हुए, माननीय न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने संबंधित डीसीपी को निर्देश दिया कि वह 23 और 24 जुलाई 2025 की घटनाओं का व्यक्तिगत सत्यापन कर एक विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट अदालत में पेश करें।
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इसके अलावा, अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता श्री राहुल त्यागी को आदेश दिया गया कि वह कोर्ट का आदेश तुरंत डीसीपी तक पहुंचाएं और सुनिश्चित करें कि डीसीपी उसी दिन शेल्टर होम जाकर सुश्री 'एक्स' से मिलें और उनकी इच्छा दर्ज करें – क्या वह याचिकाकर्ता के साथ रहना चाहती हैं या नहीं।
यदि वह इस बात की पुष्टि करती हैं, तो दिल्ली पुलिस की SOP के अनुसार उसी दिन याचिकाकर्ता और सुश्री 'एक्स' को एक निर्धारित सुरक्षित घर में स्थानांतरित किया जाए, अदालत ने स्पष्ट आदेश दिया।
कोर्ट रजिस्ट्री को भी निर्देश दिया गया कि वह आदेश की एक प्रति संबंधित डीसीपी को तत्काल ईमेल के माध्यम से भेजे, और अगली सुनवाई के लिए मामला 8 अगस्त 2025 को सूचीबद्ध किया गया।