न्यायिक सेवा भर्ती पर एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस निर्देश को खारिज कर दिया, जिसमें सिविल जज (एंट्री लेवल) उम्मीदवारों के लिए नई “तीसरी” मुख्य परीक्षा कराने का आदेश दिया गया था। जस्टिस पामिडिघंटम श्री नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने पहले समान याचिकाएं खारिज करने के बाद समीक्षा याचिका के जरिए मामले को दोबारा खोलकर अपनी सीमाओं को पार कर लिया।
पृष्ठभूमि
विवाद की शुरुआत 2023 में हुई, जब मध्य प्रदेश में 199 सिविल जज पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकला। जून 2023 में राज्य की न्यायिक सेवा भर्ती नियमावली के नियम 7 में संशोधन कर पात्रता कड़ी कर दी गई-इसके तहत तीन साल की लगातार वकालत या बिना एटीकेटी (बैकलॉग) के उच्च अंक जरूरी कर दिए गए। संशोधन को चुनौती मिली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसले तक पहले से पात्र सभी उम्मीदवारों को प्रारंभिक परीक्षा देने की अनुमति दी।
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मार्च 2024 में परिणाम घोषित होने पर दो उम्मीदवार, ज्योत्स्ना दोहालिया और एक अन्य, 113 अंकों की कट-ऑफ से मामूली अंतर से पीछे रह गए। 7 मई 2024 को हाईकोर्ट ने उनकी प्रारंभिक याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि वे न्यूनतम अंक हासिल नहीं कर पाए।
अदालत की टिप्पणियाँ
इसके बावजूद उन्हीं उम्मीदवारों ने पुनर्विचार याचिका दायर की। जून 2024 में एक डिवीजन बेंच ने चौंकाने वाला आदेश देते हुए भर्ती बोर्ड को अयोग्य उम्मीदवारों को बाहर करने, कट-ऑफ दोबारा तय करने और नई मुख्य परीक्षा कराने तक का निर्देश दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाया।
“हाईकोर्ट ने यह मानकर कार्य किया कि अयोग्य उम्मीदवार नियुक्ति पा सकते हैं,” जस्टिस चंदुरकर ने कहा, साथ ही यह भी जोड़ा कि पहले ही फैसले में ऐसी आशंकाओं को खारिज किया जा चुका था। पीठ ने याद दिलाया कि पुनर्विचार का अधिकार केवल स्पष्ट त्रुटियों को सुधारने के लिए है, न कि “पहले से तय मामले को फिर से बहस करने” के लिए।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि कोई भी अयोग्य उम्मीदवार कभी इंटरव्यू चरण तक नहीं पहुंचेगा, जिसका समर्थन रजिस्ट्रार के हलफनामे से हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार किया और कहा कि सिर्फ आशंका के आधार पर नई परीक्षा नहीं कराई जा सकती।
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फैसला
जून 2024 के पुनर्विचार आदेश को रद्द करते हुए शीर्ष अदालत ने समीक्षा याचिका को पूरी तरह खारिज कर दिया और हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि 2023 की भर्ती प्रक्रिया “यथाशीघ्र” पूरी की जाए। पीठ ने साफ कहा, “नई मुख्य परीक्षा कराने के लिए पुनर्विचार अधिकार का प्रयोग करने का कोई अवसर नहीं था,” जिससे अतिरिक्त परीक्षा का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया।
मामला: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय एवं अन्य बनाम ज्योत्सना दोहलिया एवं अन्य
निर्णय की तिथि: 23 सितंबर 2025