सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हरियाणा सरकार से नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (एनएचआरसी) द्वारा अशोक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज एफआईआर की प्रक्रिया पर उठाई गई चिंताओं पर जवाब मांगा।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता से पूछा, "क्या आपने मानवाधिकार आयोग को जवाब दिया है? हमने पढ़ा... मानवाधिकार आयोग ने शायद एफआईआर दर्ज करने के तरीके पर संज्ञान लिया है। क्या आपने जवाब दिया है? आप हमें इसके बारे में भी बताइए।"
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एनएचआरसी ने 21 मई को मीडिया रिपोर्ट के आधार पर महमूदाबाद की गिरफ्तारी और हिरासत पर स्वत: संज्ञान लिया था। आयोग की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, महमूदाबाद की गिरफ्तारी से जुड़े आरोपों से उनके मानवाधिकार और स्वतंत्रता के उल्लंघन की प्रथम दृष्टया संभावना प्रतीत होती है। इस पर एनएचआरसी ने हरियाणा पुलिस महानिदेशक से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ ने महमूदाबाद की जमानत शर्तों में फिलहाल कोई राहत देने से इनकार कर दिया, जिनमें लेख लिखने जैसी कुछ पाबंदियां शामिल हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे को अगली तारीख पर उठाया जा सकता है।
हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कोर्ट के पूर्व आदेश के अनुसार किया गया है और जांच चल रही है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एसआईटी की जांच का दायरा केवल उन दो एफआईआर तक सीमित रहेगा, जो वर्तमान में कोर्ट के विचाराधीन हैं।
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महमूदाबाद पर भारतीय दंड संहिता की धारा 196, 152 और अन्य धाराओं के तहत आरोप लगे हैं। ये आरोप सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, भड़काऊ दावे करने, राष्ट्रीय संप्रभुता को खतरे में डालने और किसी महिला की गरिमा का अपमान करने वाले शब्द या इशारों से संबंधित हैं।
उन्हें 18 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर उनके सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के तहत गिरफ्तार किया गया था। महमूदाबाद 21 मई तक हिरासत में रहे, जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी। हालांकि, कोर्ट ने जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और हरियाणा डीजीपी को निर्देश दिया कि वे एसआईटी गठित कर मामले की सच्चाई और पोस्ट के अर्थ की जांच करें।
“क्या आपने मानवाधिकार आयोग को जवाब दिया है? हमने पढ़ा... मानवाधिकार आयोग ने शायद एफआईआर दर्ज करने के तरीके पर संज्ञान लिया है। क्या आपने जवाब दिया है? आप हमें इसके बारे में भी बताइए,” - जस्टिस सूर्यकांत
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एनएचआरसी ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “महमूदाबाद की गिरफ्तारी से जुड़े आरोपों का सार प्रथम दृष्टया उनके मानवाधिकार और स्वतंत्रता के उल्लंघन को दर्शाता है।”
केस विवरण : मोहम्मद आमिर अहमद @ अली खान महमूदाबाद बनाम हरियाणा राज्य | डब्ल्यू.पी.(सीआरएल.) संख्या 219/2025