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सरकारी आवास विवाद पर पेंशन रोकने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश विभाग को लगाई फटकार

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने एमपी विभाग को फटकार लगाई, आवास विवाद में पेंशन रोकना अवैध, 6% ब्याज सहित रकम लौटाने का आदेश।

सरकारी आवास विवाद पर पेंशन रोकने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश विभाग को लगाई फटकार

नई दिल्ली, 22 सितम्बर – सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की पेंशन और ग्रेच्युटी लगभग तीन साल तक रोक कर रखी गई थी। न्यायमूर्ति संजय करोल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सरकारी आवास खाली न करने को आधार बनाकर सेवानिवृत्ति लाभ रोके नहीं जा सकते।

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पृष्ठभूमि

संतोष कुमार श्रीवास्तव, जिन्होंने 1980 से राज्य सेवा में कार्य किया, 30 जून 2013 को सेवानिवृत्त हुए। सेवा पूर्ण करने के बावजूद उन्हें अप्रत्याशित अड़चन का सामना करना पड़ा: उनकी पेंशन और ग्रेच्युटी जारी नहीं की गई। विभाग का दावा था कि वह सेवानिवृत्ति के बाद भी सरकारी मकान में रह रहे थे। अंततः फरवरी 2016 में भुगतान हुआ, लेकिन उससे पहले विभाग ने दंडात्मक किराया और कथित अतिरिक्त वेतन के नाम पर 3 लाख रुपये से अधिक काट लिए।

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इससे पहले, हाईकोर्ट ने श्रीवास्तव के पक्ष में फैसला देते हुए पूरे पैसे 6% ब्याज सहित लौटाने का निर्देश दिया था और विभाग का यह तर्क खारिज कर दिया था कि आवास कब्जा पेंशन रोकने का आधार बन सकता है। राज्य सरकार ने इस आदेश को पलटने की उम्मीद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “सेवानिवृत्ति लाभ कोई दान नहीं बल्कि अधिकार है।” पीठ ने पहले के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि पेंशन को कृपा नहीं समझा जा सकता। अदालत ने बताया कि विभाग ने सेवानिवृत्ति लाभ और आवास कब्जे जैसे दो अलग विषयों को गलत तरीके से जोड़ने की कोशिश की।

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सैयद अब्दुल कादिर बनाम बिहार राज्य के फैसले का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने साफ कहा कि प्रशासनिक गलती से हुई अतिरिक्त भुगतान की वसूली तब नहीं की जा सकती जब कर्मचारी ने कोई धोखाधड़ी न की हो। न्यायाधीशों ने टिप्पणी की, “हम इन दोनों पहलुओं के बीच कोई संबंध नहीं देखते,” और यह दलील खारिज कर दी कि मकान खाली न करने से भुगतान रोका जा सकता है।

निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखते हुए निर्देश दिया कि रोकी गई राशि 6% वार्षिक ब्याज सहित लौटाई जाए। अपील को बिना किसी लागत के खारिज कर दिया गया। सरल शब्दों में, अदालत ने साफ संदेश दिया: किसी विभाग को यह अधिकार नहीं कि वह सेवानिवृत्त कर्मचारी को मकान खाली कराने के लिए पेंशन को हथियार बनाए।

मामला: पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, मध्य प्रदेश बनाम संतोष कुमार श्रीवास्तव

निर्णय तिथि: 22 सितंबर 2025

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