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बार-बार बढ़ते कुत्तों के हमलों पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराज़गी, कहा- भारत की वैश्विक छवि धूमिल हो रही है; मुख्य सचिवों को तलब किया

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमलों पर जताई नाराज़गी, कहा- देश की छवि धूमिल हो रही है; अनुपालन न करने पर मुख्य सचिवों को तलब किया।

बार-बार बढ़ते कुत्तों के हमलों पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराज़गी, कहा- भारत की वैश्विक छवि धूमिल हो रही है; मुख्य सचिवों को तलब किया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर सख्त रुख अपनाते हुए आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों को लेकर गंभीर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से न केवल आम जनता परेशान है, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

“लगातार घटनाएं हो रही हैं और विदेशी देशों की नज़रों में देश की छवि नीचे दिखाई जा रही है। हम भी इन घटनाओं की खबरें पढ़ रहे हैं,” न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा, जबकि अदालत में मौजूद वकीलों के बीच सहमति की आवाज़ें सुनाई दीं।

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पृष्ठभूमि

यह मामला एक स्वयं संज्ञान (suo motu) जनहित याचिका है, जिसमें आवारा कुत्तों के प्रबंधन और नियंत्रण से जुड़ी चिंताओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इससे पहले न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली दो-न्यायाधीशों की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर में भेजने का आदेश दिया था।

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इस आदेश पर देशभर में विरोध शुरू हो गया-पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों ने इसे “अव्यवहारिक” और “अमानवीय” बताया। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने तीन-न्यायाधीशों की नई पीठ गठित की-न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजरिया।

नई पीठ ने पुराने आदेश में संशोधन करते हुए स्पष्ट किया कि सिर्फ “आक्रामक या रेबीज़-संदिग्ध” कुत्तों को ही शेल्टर में रखा जाए, बाकी कुत्ते सामान्य निगरानी में खुले रह सकते हैं।

कोर्ट ने इस मामले का दायरा पूरे देश तक बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control – ABC) नियमों के पालन पर अपनी रिपोर्ट (हलफनामा) दाखिल करें। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि आवारा कुत्तों को केवल निर्धारित स्थानों पर ही खिलाया जाए ताकि सड़क पर अव्यवस्था और झगड़े न हों।

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कोर्ट के अवलोकन

आज जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो पीठ ने नाराज़गी जताई कि पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर किसी भी राज्य ने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया। न्यायमूर्तियों का लहजा चिंता से सख्ती में बदल गया।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि आवारा कुत्तों के हमले अब प्रशासनिक नाकामी से आगे बढ़कर मानवीय संकट बन चुके हैं। “लगातार लापरवाही के कारण लोग घायल हो रहे हैं, कुछ की मौतें भी हो रही हैं, यह जनता के साथ अन्याय है,” उन्होंने कहा।

जब एक पक्षकार वकील ने “कुत्तों पर हो रही क्रूरता” की बात की, तो न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने बीच में ही कहा, “मानवों पर हो रही क्रूरता का क्या?” इस टिप्पणी के बाद कुछ पल के लिए अदालत में सन्नाटा छा गया, जिससे यह साफ हो गया कि अदालत का झुकाव अब इंसानों की सुरक्षा की ओर है, जबकि पशु कल्याण को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा रहा।

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पीठ ने यह भी कहा कि नगर निकायों और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी के कारण ABC नियमों का सही तरीके से पालन नहीं हो पा रहा। न्यायमूर्ति अंजरिया ने टिप्पणी की कि “कई स्थानीय निकाय इस मुद्दे को किसी और की ज़िम्मेदारी मानकर टाल रहे हैं।”

निर्णय

सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी लापरवाह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव अगले सोमवार व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित हों। अदालत ने उनसे पूछा है कि इतने निर्देशों के बावजूद अनुपालन रिपोर्ट क्यों दाखिल नहीं की गई।

पीठ ने साफ कहा कि यह “आखिरी मौका” है, उसके बाद अदालत सख्त कदम उठा सकती है। न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, “यह मामला सिर्फ जानवरों का नहीं है; यह शासन और जिम्मेदारी का भी मामला है।”

सुनवाई समाप्त होते ही संदेश स्पष्ट था-कोर्ट का सब्र अब टूट रहा है। अगली तारीख पर तय होगा कि यह मामला प्रशासनिक गलती तक सीमित रहता है या देश की नागरिक सुरक्षा और शासन की जवाबदेही का बड़ा मुद्दा बनता है।

Case: In Re: Stray Dog Menace and Animal Birth Control (ABC) Rules Compliance

Court: Supreme Court of India

Bench: Justice Vikram Nath, Justice Sandeep Mehta, and Justice NV Anjaria

Date of Hearing: Monday, October 27, 2025

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