सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का माहौल कुछ अलग ही गंभीर दिखा, जब अभिनेता श्रेयस तलपड़े से जुड़ी कई रिट याचिकाओं पर सुनवाई हुई। मामला कई राज्यों में दर्ज उन FIRs से जुड़ा है, जिनमें कथित चिट फंड घोटालों का आरोप है। आरोपों की जांच अभी जारी है, लेकिन पीठ ने साफ कहा कि केवल किसी परिचित चेहरे का नाम FIR में आ जाने से उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनी नहीं जा सकती।
पृष्ठभूमि
श्रेयस तलपड़े ने अदालत का रुख तब किया, जब SAGA ग्रुप से जुड़े मामलों में उनका नाम सामने आया। यह समूह सहकारी समितियों के ज़रिए ग्रामीण इलाकों में निवेशकों को नौ महीनों में पैसा दोगुना करने जैसे वादों से जोड़ने का आरोपी है। याचिकाओं में कहा गया कि 2018 से 2022 के बीच तलपड़े की भूमिका केवल गेस्ट सेलेब्रिटी और ब्रांड एम्बेसडर तक सीमित थी।
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उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड जैसे राज्यों में जब एक के बाद एक शिकायतें दर्ज होने लगीं, तो अभिनेता को आशंका हुई कि एक ही आरोप के आधार पर उन्हें अलग-अलग राज्यों में गिरफ्तार किया जा सकता है। इसी वजह से उन्होंने FIRs के समेकन, किसी भी तरह की दमनात्मक कार्रवाई से सुरक्षा और जांच की स्पष्ट रूपरेखा की मांग की।
इसी सुनवाई में दो अन्य जुड़ी हुई याचिकाएं भी आईं। एक याचिका एक पेशेवर सलाहकार और पूर्व बैंकर की थी, जिन पर सहकारी समितियों को दी गई सलाहकारी सेवाओं के कारण आरोप लगे। तीसरी याचिका भी लगभग तलपड़े जैसी ही थी, जिसमें एक ही कथित घोटाले को लेकर बार-बार FIR दर्ज होने पर सवाल उठाया गया।
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अदालत की टिप्पणियां
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि इस स्तर पर जांच पूरी नहीं हुई है और किसी को दोषी या निर्दोष ठहराना जल्दबाज़ी होगी। पीठ ने टिप्पणी की, “भूमिका की प्रकृति और जांच के वर्तमान चरण को देखते हुए, संरक्षण जारी रखना उचित है।”
न्यायाधीशों ने यह भी रेखांकित किया कि गिरफ्तारी अपने आप में कोई स्वचालित प्रक्रिया नहीं है। जहां बिना हिरासत के जांच आगे बढ़ सकती है, वहां कानून संयम की अपेक्षा करता है। हालांकि, अदालत ने यह भी साफ किया कि गिरफ्तारी से राहत का मतलब जांच से बचना नहीं है। जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग अनिवार्य रहेगा।
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निर्णय
अपने अंतिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिए गए अंतरिम निर्देशों को जारी रखते हुए कहा कि सूचीबद्ध FIRs में जांच पूरी होने तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दमनात्मक कदम, जिसमें गिरफ्तारी भी शामिल है, नहीं उठाया जाएगा। इस चरण पर अदालत ने FIRs को एक साथ जोड़ने या स्थानांतरित करने का आदेश नहीं दिया, लेकिन समानांतर जांच जारी रखने की अनुमति दी। इन निर्देशों के साथ सभी रिट याचिकाएं निस्तारित कर दी गईं। लंबित अर्ज़ियां भी समाप्त मानी गईं।
Case Title: Shreyas Talpade vs State of Haryana & Others
Case No.: Writ Petition (Criminal) No. 264 of 2025 (along with connected WP (Crl.) Nos. 300 of 2025 and 366 of 2025)
Case Type: Criminal Writ Petition
Decision Date: December 15, 2025