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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अशु गर्ग के खिलाफ गुंडा एक्ट में पारित निष्कासन आदेशों पर लगाई रोक

Shivam Y.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अशु गर्ग के खिलाफ उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत पारित निष्कासन आदेशों पर रोक लगाई, निचली अदालतों द्वारा यांत्रिक निर्णय लेने का हवाला दिया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अशु गर्ग के खिलाफ गुंडा एक्ट में पारित निष्कासन आदेशों पर लगाई रोक

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 के तहत अशु उर्फ अशु गर्ग के खिलाफ पारित निष्कासन आदेशों पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह निर्णय आपराधिक रिट याचिका संख्या 13952/2025 की सुनवाई के दौरान आया, जो अशु द्वारा दो प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी।

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याचिकाकर्ता ने जिन आदेशों को रद्द करने की मांग की थी, वे थे:

  • दिनांक 06.06.2025 को मेरठ मंडल के आयुक्त द्वारा पारित आदेश, मामला संख्या 2307/2024 (कंप्यूटराइज्ड केस संख्या C202411000002307)।
  • दिनांक 08.10.2024 को गाज़ियाबाद के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त द्वारा पारित निष्कासन आदेश, मामला संख्या 594/2024, थाना कविनगर, गाजियाबाद में पंजीकृत।

याचिकाकर्ता के वकील मोहम्मद सामिउज्ज़मां खान और ज़ीशान खान ने तर्क दिया कि:

“पारित आदेश पूरी तरह यांत्रिक हैं और उनमें तथ्यों या सबूतों की कोई गंभीर समीक्षा नहीं की गई है।”

उन्होंने यह भी कहा कि अशु, उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 की धारा 2(ब) में दी गई "गुंडा" की परिभाषा में नहीं आता है। इसलिए इस अधिनियम के तहत की गई कार्यवाही अवैध और अनुचित है।

याचिका में यह भी कहा गया कि संबंधित अधिकारियों ने इस मामले में कोई विचार नहीं किया:

“आदेश में कहीं भी यह नहीं दिखता कि अधिकारियों ने मामले की परिस्थितियों की जांच की या यह देखा कि याचिकाकर्ता कानून की परिभाषा में आता है या नहीं।”

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न्यायालय की टिप्पणी:

माननीय न्यायमूर्ति संदीप जैन ने प्रारंभिक रूप से यह देखा कि ये आदेश बिना किसी वैधानिक जांच के पारित किए गए हैं।

“विवादित आदेशों की सामग्री से स्पष्ट है कि अधिकारियों ने यांत्रिक रूप से कार्य किया है। अधिनियम में दी गई 'गुंडा' की परिभाषा का सही से परीक्षण नहीं किया गया।”

न्यायालय ने यह भी स्वीकार किया कि संबंधित अधिकारियों ने मामले के तथ्यों की कोई ठोस समीक्षा नहीं की।

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इन खामियों को देखते हुए उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत प्रदान की:

“दिनांक 06.06.2025 को मेरठ मंडल के आयुक्त द्वारा पारित आदेश और दिनांक 08.10.2024 को गाजियाबाद के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त द्वारा पारित निष्कासन आदेश की प्रभावीता को अगली सुनवाई तक स्थगित किया जाता है।”

अगली कार्यवाही:

  • राज्य के अधिवक्ता (एजीए) को दो सप्ताह का समय दिया गया है कि वे अपना काउंटर हलफनामा दाखिल करें।
  • इसके बाद याचिकाकर्ता को दो सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय मिलेगा।
  • इसके बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।

केस का शीर्षक: आशु @ आशु गर्ग बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं 3 अन्य

केस संख्या: Criminal Misc. Writ Petition No. 13952 of 2025