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कलकत्ता हाई कोर्ट का एलिटा गार्डन विस्टा 16वें टॉवर विवाद पर अहम फैसला

Vivek G.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने एलिटा गार्डन विस्टा केस में 16वें टॉवर की वैधता पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि फ्लैट मालिकों की सहमति के बिना नया टॉवर नहीं बनाया जा सकता।

कलकत्ता हाई कोर्ट का एलिटा गार्डन विस्टा 16वें टॉवर विवाद पर अहम फैसला

कलकत्ता हाई कोर्ट ने 29 अगस्त 2025 को न्यू टाउन, कोलकाता स्थित एलिटा गार्डन विस्टा (EGV) हाउसिंग कॉम्प्लेक्स के 16वें टॉवर विवाद पर अहम फैसला सुनाया। यह अपीलें जस्टिस राजशेखर मंथा और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की डिवीजन बेंच ने सुनीं।

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मामले की पृष्ठभूमि

EGV प्रोजेक्ट को 2007 में 15 टॉवर और 1,278 फ्लैटों के लिए मंजूरी मिली थी। फ्लैट मालिकों ने पश्चिम बंगाल अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट, 1972 के तहत अपने अधिकार पंजीकृत कराए थे, जिससे हर मालिक का अविभाजित हिस्सा 0.1% तय हुआ। लेकिन 2015 में नए प्रमोटर एलिटा गार्डन विस्टा प्रोजेक्ट प्रा. लि. ने NKDA से संशोधित मंजूरी लेकर 16वें टॉवर और एक कमर्शियल कॉम्प्लेक्स का निर्माण शुरू किया—बिना मौजूदा मालिकों की सहमति के। इससे कॉमन एरिया और खुले स्थान घट गए, जिस पर आपत्ति जताई गई।

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फ्लैट मालिकों का कहना था कि संशोधित प्लान ने उनके वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया। उनका तर्क था कि 1972 एक्ट की धारा 7 के तहत प्रमोटर को नया स्ट्रक्चर बनाने से पहले मालिकों की पूर्व सहमति लेनी जरूरी थी। उन्होंने सुपरटेक लि. बनाम एमराल्ड कोर्ट ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन (2021) के सुप्रीम कोर्ट फैसले का हवाला देते हुए अवैध टॉवर गिराने की मांग की।

प्रमोटर ने कहा कि मालिकों ने जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किए, उनमें अतिरिक्त निर्माण की अनुमति थी। उन्होंने यह भी कहा कि मालिकों ने देर से चुनौती दी और इस बीच कई तृतीय पक्ष अधिकार बन चुके हैं। वहीं NKDA का कहना था कि उसने NKDA एक्ट, 2007 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया और 1972 एक्ट का इसमें कोई प्रभाव नहीं है।

डिवीजन बेंच ने सिंगल जज के पहले दिए आदेश से असहमति जताई। कोर्ट ने कहा कि 1972 एक्ट, NKDA एक्ट का पूरक है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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बेंच ने स्पष्ट किया:

NKDA एक्ट की धारा 184 में मौजूद नॉन-ऑब्सटैंटे क्लॉज, पश्चिम बंगाल अपार्टमेंट ओनरशिप एक्ट, 1972 को निरस्त नहीं करता। नए टॉवर की मंजूरी से पहले मौजूदा फ्लैट मालिकों की सहमति अनिवार्य है।”

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि प्रमोटर को इस शर्त की जानकारी थी, क्योंकि उसने फॉर्म A को संशोधित करने के लिए फॉर्म B दाखिल करने की कोशिश की थी, जिसे संबंधित अथॉरिटी और अपीलीय प्राधिकरण ने खारिज कर दिया।

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डिवीजन बेंच ने माना कि 16वें टॉवर का निर्माण फ्लैट मालिकों की अनिवार्य सहमति के बिना किया गया और इसलिए संशोधित मंजूरी योजना अवैध है। कोर्ट ने निर्दोष खरीदारों के अधिकारों और प्रमोटर की मुआवजा जिम्मेदारी पर भी दिशा-निर्देश दिए।

केस का शीर्षक: राजन कुमार प्रसाद एवं अन्य बनाम न्यू टाउन डेवलपमेंट अथॉरिटी एवं अन्य, एलिटा गार्डन विस्टा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड बनाम ईजीवी एसोसिएशन ऑफ अपार्टमेंट ओनर्स एवं अन्य

निर्णय तिथि: 29 अगस्त 2025

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