Logo
Court Book - India Code App - Play Store

राजस्थान उच्च न्यायालय ने 2013 बलात्कार मामले में आसाराम बापू की जमानत अवधि 12 अगस्त तक बढ़ा दी

Shivam Y.

राजस्थान हाईकोर्ट ने 2013 के बलात्कार मामले में दोषी आसाराम बापू की अंतरिम जमानत 12 अगस्त 2025 तक बढ़ाई। गुजरात हाईकोर्ट ने पहले इसी मामले में अंतिम विस्तार दिया था। चिकित्सा आधार पर अब आगे कोई जमानत नहीं मिलेगी।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने 2013 बलात्कार मामले में आसाराम बापू की जमानत अवधि 12 अगस्त तक बढ़ा दी
Join Telegram

राजस्थान हाईकोर्ट ने 8 जुलाई 2025 को 2013 के बलात्कार मामले में दोषी आसाराम बापू को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि को 12 अगस्त 2025 तक बढ़ा दिया है। यह निर्णय न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ द्वारा गुजरात हाईकोर्ट के 3 जुलाई के आदेश के आलोक में लिया गया।

Read in English

86 वर्षीय आसाराम बापू, जो कई मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, को उनकी चिकित्सा स्थिति के आधार पर अंतरिम जमानत मिली थी। राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह आखिरी विस्तार होगा।

“03.07.2025 के अवलोकनों और निर्णय के अनुसार, इस न्यायालय द्वारा 14.01.2025 को दी गई अस्थायी जमानत को बढ़ाने का आवेदन स्वीकार किया जाता है। आवेदक की अस्थायी जमानत की अवधि 12.08.2025 तक बढ़ाई जाती है, यह कहते हुए कि आगे कोई राहत नहीं दी जाएगी।”
— राजस्थान हाईकोर्ट, 8 जुलाई 2025

Read also:- चेक बाउंस मामला: आरोपी को नोटिस रिश्तेदार को देने पर बरी किया गया - केरल हाईकोर्ट का निर्णय

सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि गुजरात हाईकोर्ट ने आंशिक रूप से इसी तरह के आवेदन को स्वीकार करते हुए एक माह की अस्थायी जमानत बढ़ाई थी। उन्होंने उस आदेश का हवाला देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट से भी समान विस्तार की मांग की।

"यदि एक महीने का विस्तार मिल जाता है, तो आवेदक संतुष्ट होगा, हालांकि गुजरात हाईकोर्ट के 03.07.2025 के आदेश को चुनौती देने का अधिकार सुरक्षित रहेगा।"
— याचिकाकर्ता के वकील

इससे पहले, राजस्थान हाईकोर्ट ने कई बार आसाराम की जमानत अवधि बढ़ाई है। हाल ही में 1 जुलाई को यह जमानत 9 जुलाई तक बढ़ाई गई थी। इससे पहले 7 अप्रैल को अदालत ने उनकी चिकित्सा स्थिति को ध्यान में रखते हुए 1 जुलाई तक विस्तार दिया था।

Read also:- केरल हाईकोर्ट: कोविड के बाद व्हाट्सएप से भेजा गया नोटिस CGST अधिनियम की धारा 169 के तहत अमान्य

7 अप्रैल के आदेश में अदालत ने कहा था:

“जहां तक आवेदक की चिकित्सा स्थिति का सवाल है, गुजरात हाईकोर्ट ने इसे विस्तार से देखा है और हम दोबारा यह प्रक्रिया नहीं अपनाना चाहते और कोई भिन्न दृष्टिकोण नहीं लेना चाहते।”

गुजरात हाईकोर्ट ने 3 जुलाई 2025 को अपने आदेश में स्पष्ट किया था:

“चिकित्सा आधार पर आगे कोई भी अस्थायी जमानत विस्तार की याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी।”

राजस्थान हाईकोर्ट का वर्तमान आदेश उसी रुख का पालन करता है और केवल स्वास्थ्य के आधार पर निरंतर विस्तार देने में न्यायिक संयम दिखाता है।

केस का शीर्षक: आशाराम उर्फ ​​आशुमल बनाम राजस्थान राज्य

डी.बी. आपराधिक विविध दंडादेश निलंबन आवेदन (अपील) संख्या 68/2025

Recommended Posts