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जयपुर में शराब दुकान स्थानांतरण मामले पर राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा राज्य सरकार का जवाब

Vivek G.

राजस्थान हाईकोर्ट ने सार्वजनिक क्षेत्रों में शराब की दुकानों के आवंटन पर राज्य सरकार से सवाल किया। कोर्ट ने अधिकारियों को संविधान के अनुच्छेद 21 और 47 के तहत नीति का औचित्य बताने का निर्देश दिया।

जयपुर में शराब दुकान स्थानांतरण मामले पर राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा राज्य सरकार का जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर पीठ ने हाल ही में साधना शिवहरे, पत्नी श्री परशुराम शिवहरे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की।

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याचिकाकर्ता ने कहा कि वर्ष 2021–22 से उन्हें आबकारी नीति के तहत जयपुर के किशनपोल बाजार, वार्ड नंबर 71(H), दुकान नंबर 98 पर मिश्रित शराब दुकान आवंटित की गई थी। वर्ष 2024–25 में जब दुकान नीलाम नहीं हुई तो बातचीत के बाद यह दुकान उन्हें पुनः आवंटित कर दी गई।

उन्होंने यह भी बताया कि 2 जून 2024 को दुकान का स्थान और नक्शा कानून और उच्चतम न्यायालय के फैसलों के अनुसार स्वीकृत किया गया था। यह आवंटन 2025–26 तक जारी रहा और इस दौरान लाइसेंस शुल्क में 5% की वृद्धि हुई। याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्होंने कभी भी शर्तों का उल्लंघन नहीं किया।

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याचिकाकर्ता ने 13 अगस्त 2025 को जारी नोटिस को चुनौती दी, जिसमें जनता के विरोध के चलते दुकान स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। उनका कहना था कि—

  • नोटिस की प्रति उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई।
  • उन्होंने सभी नियम और शर्तों का पालन किया।
  • अचानक दुकान स्थानांतरित करने का आदेश अनुचित है।

इसी वजह से उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

न्यायमूर्ति समीर जैन ने शराब नियंत्रण से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 47 का उल्लेख किया, जो राज्य को मादक पेय पदार्थों के सेवन को हतोत्साहित करने का निर्देश देता है।

आदेश में कहा गया:

“याचिकाकर्ता को शराब बिक्री का कोई निहित अधिकार नहीं है। अनुच्छेद 47 के अंतर्गत आने वाले मदिरा और वस्तुएं रेस एक्स्ट्रा कॉमर्शियम सिद्धांत के तहत आती हैं।”

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कोर्ट ने कहा कि राज्य की संयम नीति (Temperance Policy) के बावजूद वर्षों से सार्वजनिक बाजारों में शराब की दुकानों को मंजूरी दी जाती रही है।

हाईकोर्ट ने राज्य को नोटिस जारी कर नीति स्पष्ट करने का निर्देश दिया। विशेष रूप से—

  • आबकारी विभाग के आयुक्त और प्रमुख सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होना होगा।
  • उन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 और 47 के परिप्रेक्ष्य में संयम नीति (Temperance Policy) प्रस्तुत करनी होगी।
  • उन्हें यह बताना होगा कि घनी आबादी वाले सार्वजनिक क्षेत्रों, खासकर जहां मंदिर, स्कूल और धार्मिक स्थल हैं, वहां शराब की दुकानें क्यों आवंटित की जाती हैं।
  • कोर्ट ने चिंता जताई कि ऐसे आवंटन अनुच्छेद 21 और 47 की भावना के विपरीत हो सकते हैं।

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मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त 2025 को होगी।

केस का शीर्षक: साधना शिवहरे पत्नी श्री परशुराम शिवहरे बनाम राजस्थान राज्य
केस संख्या: एस.बी. सिविल रिट याचिका संख्या 12689/2025
आदेश की तिथि: 26 अगस्त 2025

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