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SC ने गैर-रेजिडेंट असेसीज के लिए DRP से जुड़े पुनः मूल्यांकन आदेशों की समय सीमा को किया स्पष्ट

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 144C और सेक्शन 153 के अंतर्गत गैर-रेजिडेंट असेसीज के पुनर्मूल्यांकन मामलों में समय सीमा को स्पष्ट किया। पढ़ें 2025 INSC 946 निर्णय का पूरा विश्लेषण।

SC ने गैर-रेजिडेंट असेसीज के लिए DRP से जुड़े पुनः मूल्यांकन आदेशों की समय सीमा को किया स्पष्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए एक महत्वपूर्ण फैसले में, जिसका शीर्षक है Assistant Commissioner of Income Tax (International Taxation) & Others बनाम Shelf Drilling Ron Tappmeyer Ltd. & Others, यह स्पष्ट किया कि इनकम टैक्स एक्ट की धारा 144C और धारा 153 के बीच किस प्रकार तालमेल बैठता है। यह विवाद इस बात को लेकर था कि क्या DRP से जुड़े पुनः मूल्यांकन मामलों में, सेक्शन 153 में निर्धारित समय सीमा को माना जाएगा या सेक्शन 144C के प्रावधान उसे बढ़ा सकते हैं।

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मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला उन कई गैर-रेजिडेंट कंपनियों से संबंधित था जो शैलो वॉटर ड्रिलिंग का व्यवसाय कर रही थीं और जो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 44BB के अंतर्गत आती हैं।

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  • असेसीज ने असेसमेंट वर्ष 2014-15 में घाटा दर्शाया था, जिसे बाद में पुनः मूल्यांकन के लिए चयनित किया गया।
  • ITAT (ट्रिब्यूनल) द्वारा रिमांड के बाद 28.09.2021 को अंतिम आदेश पारित किया गया, जिसे समय सीमा समाप्त हो जाने के कारण चुनौती दी गई।

"अंतिम मूल्यांकन आदेश पारित नहीं किया जा सकता क्योंकि 30.09.2021 को समय सीमा समाप्त हो गई थी।" – प्रतिवादी की दलील

क्या धारा 144C के तहत निर्धारित प्रक्रिया धारा 153(3) में दी गई समय सीमा को बढ़ा सकती है या उसे मानकर उसी में पूरी होनी चाहिए?

यह निर्णय दो न्यायाधीशों के बीच मतभेद के साथ आया – न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा।

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न्यायमूर्ति नागरत्ना का मत (अल्पमत राय)

  • उन्होंने कहा कि सेक्शन 144C, सेक्शन 153(3) की समय सीमा को नहीं बढ़ा सकता।
  • DRP से जुड़ी पूरी प्रक्रिया को 12 महीने की समय सीमा में ही पूरा करना अनिवार्य है।
  • संसद यदि विस्तार का इरादा रखती, तो वह स्पष्ट प्रावधान करती।

"सेक्शन 144C की प्रक्रिया सेक्शन 153(3) में निर्धारित समय सीमा के भीतर ही पूरी होनी चाहिए।" – न्यायमूर्ति नागरत्ना

उन्होंने रेवेन्यू की अपील को खारिज किया और हाई कोर्ट के उस निर्णय को सही ठहराया, जिसमें असेसमेंट को समय सीमा से बाहर बताया गया था।

न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा का मत (बहुमत राय)

  • उन्होंने रेवेन्यू की अपील को स्वीकार किया।
  • माना कि सेक्शन 144C की समय सीमाएं स्वतंत्र हैं और वे सेक्शन 153(3) की 12 महीने की सीमा के अतिरिक्त चलती हैं।
  • उन्होंने यह भी कहा कि असेसिंग ऑफिसर को DRP प्रक्रिया पूरी करने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए।

"यदि पूरी 144C प्रक्रिया को 153(3) की समय सीमा में समेट दिया जाए, तो यह टैक्स वसूली की प्रक्रिया के लिए पूरी तरह से संकटपूर्ण हो जाएगा।" – न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा

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उनका निष्कर्ष था कि ड्राफ्ट असेसमेंट आदेश 153(3) के अंतर्गत आना चाहिए, लेकिन DRP के बाद फाइनल आदेश 144C के अनुसार पारित हो सकते हैं, भले ही इससे कुल समय सीमा 12 महीने से अधिक हो जाए।

बॉम्बे और मद्रास हाई कोर्ट ने पहले यह माना था कि DRP प्रक्रिया सेक्शन 153 की सीमा में ही पूरी होनी चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे पलट दिया।

  • सेक्शन 144C(13): DRP के निर्देश के बाद 1 महीने में फाइनल आदेश देना होगा।
  • सेक्शन 153(3): ट्रिब्यूनल के रिमांड के बाद पुनर्मूल्यांकन 12 महीनों में करना होगा।
  • TOLA 2020: कोविड-19 के कारण कुछ समय सीमाओं का विस्तार किया गया।

यह निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि असेसिंग ऑफिसर को DRP प्रक्रिया पूरी करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है, और वह सेक्शन 153(3) की 12 महीने की सीमा में बंधा नहीं रहेगा यदि DRP शामिल है।

यह अंतरराष्ट्रीय असेसीज, टैक्स सलाहकारों और असेसिंग अधिकारियों के लिए स्पष्टता प्रदान करता है कि सेक्शन 144C लागू होने पर समयसीमा कैसे काम करती है, विशेषकर जब मामला ट्रिब्यूनल से रिमांड होकर आया हो।

मामले का शीर्षक: सहायक आयकर आयुक्त (अंतर्राष्ट्रीय कराधान) एवं अन्य बनाम शेल्फ ड्रिलिंग रॉन टैपमेयर लिमिटेड एवं अन्य

निर्णय तिथि: 2025 (उद्धरण: 2025 INSC 946)

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