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नवीकरणीय ऊर्जा पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: GUVNL की ₹3.56 दर अस्वीकार

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो पवन ऊर्जा कंपनियां त्वरित अवमूल्यन का लाभ नहीं लेतीं, वे अलग दर की हकदार हैं। GUVNL की ₹3.56 दर खारिज।

नवीकरणीय ऊर्जा पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: GUVNL की ₹3.56 दर अस्वीकार

4 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (GUVNL) की अपीलों को खारिज कर दिया। ये अपीलें गुजरात विद्युत विनियामक आयोग (GERC) और विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (APTEL) के फैसलों के खिलाफ दायर की गई थीं। इन फैसलों में यह माना गया था कि अगर कोई पवन ऊर्जा कंपनी त्वरित अवमूल्यन (Accelerated Depreciation - AD) का लाभ नहीं लेती है, तो वह व्यक्तिगत रूप से दर निर्धारण (tariff determination) के लिए आवेदन कर सकती है।

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मामले की पृष्ठभूमि

GUVNL ने निम्नलिखित चार कंपनियों के साथ बिजली खरीद समझौते (PPA) किए थे:

  • ग्रीन इंफ्रा कॉरपोरेट विंड प्राइवेट लिमिटेड
  • वायु (इंडिया) पावर कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड
  • ग्रीन इंफ्रा विंड पावर लिमिटेड
  • टाडास विंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड

इन कंपनियों ने GERC से दर निर्धारण की याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि उन्होंने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत AD का लाभ नहीं लिया है। GERC और APTEL ने उनके पक्ष में फैसला दिया, जिसे GUVNL ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

"₹3.56 प्रति यूनिट की दर केवल उन्हीं पवन ऊर्जा परियोजनाओं पर लागू होती है जो त्वरित अवमूल्यन का लाभ लेती हैं।" — सुप्रीम कोर्ट

  • GERC के 2010 आदेश में ₹3.56 प्रति यूनिट की दर केवल AD लेने वाली परियोजनाओं के लिए तय की गई थी।
  • जिन परियोजनाओं ने AD का लाभ नहीं लिया है, उन्हें अलग-अलग याचिका के आधार पर अलग दर निर्धारण की अनुमति दी गई थी।
  • इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार, कोई भी कंपनी AD का विकल्प आयकर रिटर्न दाखिल करते समय चुनती है — PPA साइन करते समय नहीं।

GUVNL की दलील:

  • चारों कंपनियों ने ₹3.56/kWh की दर पर PPA साइन किए थे।
  • अब वे AD न लेने का बहाना बनाकर ज्यादा दर की मांग नहीं कर सकतीं।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया:

  • GUVNL ने AD लेने या न लेने पर कोई लिखित सहमति या वचन नहीं लिया।
  • कंपनियां PPA साइन करने के समय कानूनी रूप से AD के विकल्प को चुन ही नहीं सकती थीं।
  • दर निर्धारण केवल व्यावसायिक अनुबंध नहीं बल्कि एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसे आयोग (GERC) तय करता है।
  • भारत सरकार की नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और गुजरात सरकार की विंड पावर पॉलिसी (2007 और 2013) का उद्देश्य था — पवन ऊर्जा को बढ़ावा देना।
  • GUVNL एक राज्य की इकाई होने के नाते इन नीतियों को लागू करने की जिम्मेदारी निभाने के लिए बाध्य थी।
  • ₹3.56/kWh की दर उन परियोजनाओं पर लागू नहीं होती जो AD का लाभ नहीं लेतीं।
  • GUVNL ने AD को लेकर कोई वचन नहीं लिया, तो वह कंपनियों को जबरदस्ती उस दर पर नहीं बांध सकता।
  • GERC और APTEL के फैसले पूरी तरह वैध हैं और इनमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने GUVNL की सभी अपीलें खारिज कर दीं और 03.02.2023 को दिए गए अंतरिम आदेश को भी रद्द कर दिया।

मामले का शीर्षक: गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड बनाम ग्रीन इन्फ्रा कॉर्पोरेट विंड प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य

उद्धरण: 2025 आईएनएससी 922

मामले का प्रकार: सिविल अपील

सिविल अपील संख्या: 14098–14101, 2015

निर्णय की तिथि: 4 अगस्त, 2025

अपीलकर्ता: गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल)

प्रतिवादी:

  • ग्रीन इन्फ्रा कॉर्पोरेट विंड प्राइवेट लिमिटेड
  • वायु (इंडिया) पावर कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड
  • ग्रीन इन्फ्रा विंड पावर लिमिटेड
  • ताडास विंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड