नई दिल्ली, 2 सितंबर 2025: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक संवेदनशील बाल अभिरक्षा विवाद में पिता को अपने नौ वर्षीय बेटे से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करने की अनुमति दी है। बच्चा 2017 से अपनी मां के साथ आयरलैंड में रह रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह अपील मनोज धनखड़ ने दायर की थी, जो नाबालिग के पिता हैं। उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 4 अक्टूबर 2024 के आदेश को चुनौती दी थी।
- शादी और संतान: मनोज धनखड़ ने 26 नवंबर 2012 को निहारिका से विवाह किया। उनका बेटा 18 जनवरी 2016 को पैदा हुआ।
- अलगाव: 2017 में मां वैवाहिक घर छोड़कर चली गईं और बाद में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक की याचिका दायर की।
- अभिरक्षा की लड़ाई: 2018 में पिता ने फैमिली कोर्ट का रुख किया। शुरुआत में उन्हें महीने में दो बार स्कूल में बच्चे से मिलने की अनुमति मिली। 2022 में अदालत ने सप्ताहांत पर अभिरक्षा दी, लेकिन कुछ शर्तों के साथ।
- शर्तों का उल्लंघन: मार्च 2023 में फैमिली कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, यह कहते हुए कि उन्होंने अंतरिम आदेश की शर्तों का उल्लंघन किया। 2024 में हाईकोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा और कहा कि बच्चा 2017 से लगातार मां के साथ रह रहा है।
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न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने फैसले में कहा कि बच्चे का कल्याण सबसे पहले होना चाहिए, न कि माता-पिता के बीच का विवाद।
अदालत ने स्पष्ट किया:
“जब ऐसे विवाद सामने आते हैं तो मुख्य प्रश्न यह नहीं होता कि माता-पिता में कौन सही या गलत है, बल्कि यह कि कौन सा प्रबंध बच्चे के हित में सबसे अच्छा होगा।”
पीठ ने माना कि भले ही माता-पिता के बीच लंबे समय से विवाद रहा हो, लेकिन बच्चे के भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। चूंकि बच्चा अपनी मां के साथ आयरलैंड में स्थिर है, इसलिए मौजूदा व्यवस्था को बदलना उसके हित में नहीं होगा।
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हालांकि, अदालत ने पिता-पुत्र के संबंध को बनाए रखना आवश्यक बताया:
“हर बच्चे को दोनों माता-पिता के स्नेह का अधिकार है। ऐसे संपर्क से वंचित करना बच्चे को पिता के प्रेम, मार्गदर्शन और भावनात्मक सहारे से वंचित करना होगा।”
सुप्रीम कोर्ट ने अपील का निपटारा करते हुए विशेष निर्देश दिए:
- पिता को बेटे से हर दूसरे रविवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक (आयरलैंड समयानुसार) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करने की अनुमति दी गई।
- दोनों पक्षों को सद्भावना से सहयोग करना होगा ताकि यह व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके।
- तकनीकी या व्यवस्थागत समस्याओं को आपसी सहमति से हल किया जाएगा और इसमें बच्चे के हित को सर्वोपरि रखा जाएगा।
इन निर्देशों के साथ, अदालत ने बच्चे के विदेश में स्थिर जीवन और पिता के साथ भावनात्मक जुड़ाव दोनों के बीच संतुलन बनाया।
मामला: मनोज धनखड़ बनाम नीहारिका एवं अन्य
मामले का प्रकार: सिविल अपील संख्या 11332/2025 (विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्या 25029/2025 से उत्पन्न)
निर्णय की तिथि: 2 सितंबर, 2025