Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

सुप्रीम कोर्ट: प्रदूषण बोर्ड अब वॉटर और एयर एक्ट्स के तहत पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति वसूल सकते हैं

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वॉटर और एयर एक्ट्स के तहत पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति वसूल सकते हैं, यह दंड नहीं बल्कि बहाली है।

सुप्रीम कोर्ट: प्रदूषण बोर्ड अब वॉटर और एयर एक्ट्स के तहत पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति वसूल सकते हैं

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी बनाम लोधी प्रॉपर्टी कंपनी लिमिटेड मामले में यह स्पष्ट किया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वॉटर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट, 1974 और एयर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट, 1981 के सेक्शन 33A और 31A के तहत पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति वसूल सकते हैं।

Read in English 

मामला

दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) ने पर्यावरण मंत्रालय के निर्देशों पर कई वाणिज्यिक और आवासीय परिसरों को नोटिस जारी किए थे, क्योंकि ये इकाइयाँ बिना वैध अनुमति (consent to establish/operate) के निर्माण और संचालन कर रही थीं।

इन इकाइयों ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। सिंगल जज ने फैसला सुनाया कि DPCC के पास कानून के तहत कोई स्पष्ट शक्ति नहीं है कि वह पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति वसूल सके या बैंक गारंटी की मांग कर सके। जज ने कहा कि यह "दंडात्मक" कार्रवाई है जो केवल अदालतों के माध्यम से ही की जा सकती है।

Read also:- बॉम्बे हाईकोर्ट ने पत्नी की तलाक का केस पुणे से उस्मानाबाद ट्रांसफर करने की याचिका खारिज की

डिवीजन बेंच ने सिंगल जज के फैसले को सही ठहराया और कहा:

“वॉटर एक्ट की धारा 33A और एयर एक्ट की धारा 31A के तहत दंड वसूलने की शक्ति बोर्ड को नहीं दी गई है।”

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि जुर्माने की वसूली सिर्फ अदालत की प्रक्रिया से ही हो सकती है, और DPCC द्वारा वसूली की गई रकम को वापस किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की व्याख्या को अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा:

“DPCC जैसे पर्यावरणीय नियामक संस्थान, संभावित नुकसान से पहले ही एक पूर्व-एहतियाती उपाय (ex-ante measure) के रूप में निश्चित धनराशि या बैंक गारंटी वसूल सकते हैं।”

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि दंडात्मक कार्रवाई और क्षतिपूर्ति या बहाली के निर्देश में अंतर है। बोर्ड द्वारा वसूली केवल पर्यावरण की बहाली और संरक्षण हेतु होती है, न कि अपराध की सजा के रूप में।

यह भी कहा गया कि “Polluter Pays” सिद्धांत भारतीय पर्यावरण कानून का मूल हिस्सा है और इसे प्रभावी रूप से लागू करना जरूरी है।

Read also:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किरायेदार उमा चौहान के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला रद्द किया

“पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का निर्देश दंड नहीं, बल्कि एक बहाली उपाय है।” — सुप्रीम कोर्ट

“इस शक्ति का प्रयोग पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ होना चाहिए और नियमों के माध्यम से विधिवत लागू किया जाना चाहिए।”

हालांकि, कोर्ट ने पुराने (2006 के) शो-कॉज नोटिस को पुनर्जीवित नहीं किया, जिसे हाईकोर्ट पहले ही खारिज कर चुका था। DPCC को निर्देश दिया गया कि यदि उसने कोई राशि वसूली है, तो उसे 6 हफ्तों के अंदर वापस किया जाए।

Read also:- पंजाब अपराधिक पुनरीक्षण मामले में उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को परिवीक्षा प्रदान की

  1. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति और बैंक गारंटी की मांग कर सकते हैं।
  2. यह दंडात्मक नहीं, बल्कि बहाली से संबंधित प्रक्रिया है।
  3. ऐसी शक्तियाँ नियमों के तहत पारदर्शी तरीके से लागू की जाएं।
  4. पुराने नोटिस को फिर से लागू नहीं किया जाएगा; यदि कोई रकम वसूली गई है तो उसे लौटाया जाएगा।

मामले का शीर्षक: दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति बनाम लोधी प्रॉपर्टी कंपनी लिमिटेड एवं अन्य

मामले का प्रकार: सिविल अपील संख्या 757-760 वर्ष 2013
(सिविल अपील संख्या 1977-2011 वर्ष 2013 सहित)

क्षेत्राधिकार: सिविल अपीलीय क्षेत्राधिकार

निर्णय की तिथि: 4 अगस्त 2025